बहादुरगढ़ अस्पताल में खांसी ,जुखाम पेट की तकलीफ जैसी सामान्य बीमारियों की दवाएं भी मरीजों को नहीं मिल पा रही हैं। एंटीबायटिक दवाओं का भी टोटा है। ऐसे में मरीज बाहर के दवा खरीदने को मजबूर हैं ये दवाएं काफी महंगी भी है। अस्पताल प्रबंधन दवाओं की डिमांड भेजने का दावा कर रहा है।

सर्दी बढ़ने के साथ अस्पताल में मरीज भी बढ़ने लगे हैं। सिविल अस्पताल कीहर रोज ओपीडी में लगभग 1500 मरीज आते हैं। इनमें 200 से अधिक मरीज खांसी, जुकाम, बुखार, पेट की तकलीफ व एलर्जी आदि के होते हैं लेकिन इन सामान्य बीमारियों की दवा भी अस्पतालों में पर्याप्त नहीं है।

मरीजों को एंटीबायटिक्स की भी कमी देखने को मिल रही है। पेट में गैस बनने की शिकायत वाले मरीजों को भी बाहर से दवा लेनी पड़ रही है। गर्भवती महिलाओं को लिखी जाने वाली आवश्यक दवाईयां भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।

अस्पताल में पहुंची मरीज पूनम ने बताया कि उनके कार्ड पर महिला डॉक्टर की ओर से लिखी गई दवाईयों से जो दवा महंगी थी वह तो अस्पताल में मिली ही नहीं। अन्य 2-3 ही मिल मिली। दो दिन पहले अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे विवेकानंद नगरवासी अशोक कुमार, फ्रेंडस कॉलोनी वासी रविंद्र, राजू, जौहरी नगरवासी प्रदीप ने बताया कि अस्पताल में अक्सर मरीजों की भीड़भाड़ रहती है।

ओपीडी कार्ड बनवाने से लेकर डाक्टर से जांच करवाने व दवा पाने तक उन्हें घंटो लग जाते हैं लेकिन बाद में पता चला कि डॉक्टर द्वारा लिखी गई अधिकतर दवा अस्पताल में नहीं है। बुजुर्ग महेंद्र ने बताया कि वे खांसी जुकाम की दवा लेने आए लेकिन खांसी का कफ सिरप तक नहीं मिला। यहां सिफीक्सीज्म, रैनटेक, ओम्रिपॉजोल दवा भी नहीं मिली।