भवानीमंडी। सरकार की तरफ से चलाई जा रही नि:शुल्क दवा योजना को कुछ सरकरी बाबू ही नाकाम करते हुए नजर आ रहें है। बताना लाजमी है कि सरकारी दवा की बाटने के बजाय उसे छिपा कर रखा जा रहा है। भले ही राज्य सरकार ने आमजन को इलाज में राहत देने के लिए नि:शुल्क दवा योजना शुरू कर रखी हो। लेकिन सरकार की इस महत्वकांशी योजना में नगर की सीएचसी पर वितरण होने वाली दवाओं की बर्बादी की जा रही है। ऐसा ही मामला सामने आया जहां सीएचसी के एक सरकारी स्टॉफ क्वाटर के चौक में रखे सामानों के पीछे दर्जनों बीमारियों में काम आने वाली दवाइयां छिपाकर रखी हुई मिली।

बता दें कि सरकारी क्वाटर के चौक में क्लोरोफोनिरामाईन मैलेट इमोनियम क्लोराइटड सोडियम सिट्रेट एण्ड मेन्थोल सीरप, सलब्यूटामोल सीरप, आइसोसोरबाइड मोनोनइट्रेट अैबलेट्स, ग्लीमेपिराइड टेबलेट्स, एंटीबाइटिक सिरप, सिल्वर सल्फाडयजिन क्रीम, डाइसाइक्लोमीन हाइड्रोक्लोराइइड एण्ड एक्टीवेटेड डाइमैथिकोन, ड्रॉप, अर्थेमेथर एण्ड ल्यूमीफंटीन टेबलेट्स आदि दवाईयां कूलर के पीछे छिपाकर रखी हुई थी। जो मलेरिया, पेटदर्द, खांसी, सांस चलने में ,कफ में, सीने के दर्द में, शुगर में, जलने में काम आती है। सभी के कई पैकेट बड़ी मात्रा में कार्टून एवं कट्टे में रखे हुए थे।

जानकारों का कहना है कि यदि नि:शुल्क वितरण होने वाली दवाईयां दवा वितरण केन्द्र पर वितरण से पूर्व ही एक्पायर हो जाती है तो उन्हे शेष दवाओं से अलग कर दिया जाता है। बाद में सभी दवाओं को दवा स्टोर रूम में वापस जमा करा दिया जाता है। एक्सपायरी डेट की दवाओं को एक से दो महिनों के बीच मे नष्ट करवा दिया जाता है। सीएचसी पर रोजाना करीब 250 से 300 मरीज रोजाना परामर्श के लिए पहुंचते है। जिनको चिकित्सकों द्वारा सरकार की नि:शुल्क दवाईयां लिखी जाती है। जिन्हे दवाई स्टोर रूम इंचार्ज द्वारा दवा वितरण केन्द्र को वितरण के लिए एवं संस्थाओं को सप्लाई कर दी जाती है। जिन्हे मरीजों को वितरण किया जाता है। ऐसे में इतनी बड़ी मात्रा में दवाओं का मिलना।

सीएचसी की दवाई वितरण व्यवस्था को संदेह के घेरे में दर्शाता है। उधर सीएचसी प्रभारी ने भी सरकारी क्वाटर में दवाइयां रखी होने पर हैरानी जताते हुए कार्रवाई की बात कही है। बता दें कि सीएचसी के एक्स-रे कक्ष के सामने स्थित सरकारी क्वाटर में स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों द्वारा निजी स्वार्थ के लिए विभिन्न प्रकार की बीमारियों में काम आने वाली कई दवाईयों को 4 कार्टूनों, प्लास्टिक के 2 कट्टों में कूलर के अंदर एवं पीछे छिपाकर रख रखा था। वही कई दवाईयां तो कूलर के सामने ही बिखरी हुई पड़ी हुई थी। जिनमें दवाईयों की निर्माण तिथि अप्रेल 2020 अंकित थी। जबकी समय अवधि की तिथि मार्च 2022 तक लिखी हुई थी। जबकि कई दवाईयों की समयावधि सितंबर 2021 ही थी।