अलवर

सरकारी ब्लड बैंक में ब्लड बैग्स, रीजेंट एवं किट में फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां कम बैग में 783 यूनिट अधिक ब्लड एकत्र कर लिया गया। 3947 एचआईवी की जांचें बिना किट के कर दी गई। हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, सिफलिस मलेरिया की जांचों में भी ऐसा ही हुआ। मलेरिया के छह यूनिट ब्लड की रिपोर्ट पॉजिटिव दी गई तो उन्हें नष्ट (डिस्कार्ड ) कर दिया गया। ब्लड बैंक में रक्त के संकलित हजारों बैगों की 5 जांचें भी संदेह के घेरे में हैं। ब्लड बैंक में यह गड़बड़झाला जून 2013 से मई 2015 तक का है। राजीव गांधी सामान्य अस्पताल से प्राप्त आरटीआई रिपोर्ट में ये तथ्य सामने आए हैं। माना जा रहा है कि ब्लड बैंक में ब्लड बैग्स, रीजेंट एवं किट में बड़े पैमाने पर हेरफेर हो सकती है।
कर्मचारियोंने इस समायोजित करने के लिए मनमाने तरीके से फर्जी जांच दिखा दी, ऐसे में यह रिपोर्टों का आंकड़ा बढ़ गया। आरटीआई से बानसूर के रामसिंह ने ब्लड बैंक की सूचना ली। इसमें सामने आया ब्लड बैंक के लिए जोनल स्टोर से सप्लाई किए गए किट रीजेंट की संख्या से ज्यादा जांचें हो गई। खून के साथ हुए खिलवाड़ से अब तक लोगों को जारी किए हजारों यूनिट ब्लड पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।
इसकी शिकायत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को भेजने के बाद अस्पताल प्रशासन ने कमेटी गठित कर जांच शुरू कर दी है।