सिद्धार्थनगर/महाराजगंज। नेपाल सीमा के एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर सप्लाई में आई लाखों रुपए कीमत की दवाइयां जला देने का मामला सामने आया है। आरोप है कि कमीशन के लालच में निजी मेडिकल स्टोर से दवाएं लिखने की होड़ में यह कदम उठाया गया। एक ओर सरकार ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत गरीबों को सस्ती दवाएं और मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी ही लाखों की दवाओं को जला रहे हैं। गौरतलब है कि नेपाल सीमा के बढऩी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रात के समय स्टोर से निकालकर दवाओं को जला दिया गया। इनमें अधिकांश कीमती और उपयोगी दवाएं थी। इस स्वास्थ केंद्र पर दवाओं के जलाने का एक वीडियो वायरल होने के बाद विभाग में हडक़ंप मचा हुआ है।
रात को मार्ग से गुजर रहे लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के परिसर से आग की लपटें उठती दिखाई दीं। कुछ लोगों ने वहां जाकर देखा तो अस्पताल परिसर में स्थित प्रसव केंद्र के पीछे मरीजों के वितरण के लिए आई भारी तादात में लाखों की सरकारी दवाएं जल रही थी, जिसे कूड़े के ढेर में डालकर आग के हवाले कर दिया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इन दवाओं पर एक्सपायरी डेट 2018 लिखी हुई थी। वहां मौजूद कुछ जागरूक लोगों ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। बहरहाल भारी मात्रा में दवाई जलाने के पीछे कमीशन पर मेडिकल स्टोरों से दवाएं लिखने का मामला सामने आ रहा है। इस संबंध में पीएचसी बढऩी के एमओआईसी डॉ. शेषबान गौतम ने सारे मामले को सिरे से झुठलाते हुए कहा कि खाली गत्ते जलाए गए थे, उसमें दवाएं नहीं थी, जबकि वायरल हो रहे वीडियो में सच साफ दिख रहा है।