मुंबई। सस्ती दवाइयां जल्द ही मूल्य नियंत्रण व्यवस्था से बाहर होने जा रही हंै। ऐसे में सस्ती दवाइयां बनाने वाली कंपनियां हर साल 10 फीसदी तक कीमत बढ़ा सकेंगीं। आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) को अपडेट किया जा रहा है। दवाओं पर स्थायी राष्ट्रीय समिति (एसएनसीएम) की इस सप्ताह बैठक होने की उम्मीद है। समिति 2015 की सूची की समीक्षा कर रही है।
गौरतलब है कि देश में 1.36 लाख करोड़ रुपये का दवा बाजार है। इसमें से करीब 19 फीसदी दवाएं मूल्य नियंत्रण के दायरे में हैं। इनमें करीब 4 से 5 फीसदी ऐसी दवाएं हैं जिनकी एक खुराक की कीमत 5 रुपये से कम है। एक खुराक का मतलब एक गोली या कैप्सूल है। उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि दवा उद्योग करीब एक साल से इस पर जोर लगा रहा था। इस प्रक्रिया में शामिल एक दवा कंपनी के प्रबंध निदेशक ने कहा कि सरकार के साथ कई बैठकों के बाद उद्योग ने प्रस्ताव दिया है कि 5 रुपये प्रति खुराक से कम कीमत वाली दवाओं को मूल्य नियंत्रण से बाहर किया जाना चाहिए। बाजार में इतनी होड़ है कि इन दवाओं की कीमत काबू में बनी रहे। बताया गया है कि उद्योग ने 5 रुपये प्रति खुराक से कम कीमत वाली दवाओं को मूल्य नियंत्रण से बाहर करने का प्रस्ताव रखा है। अभी इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।