नई दिल्ली। कैंसर और दिल की बीमारियों के इलाज में मरीजों को दी जाने वाली कुछ एंटीबायॉटिक और दवाओं के दाम कम हो सकते है। सरकार जल्द जरूरी दवाओं की लिस्ट अपडेट करने वाली है और उनमें से कुछ को वह प्राइस कंट्रोल वाली दवाओं की सूची में डाल सकती है। पहले वाली व्यवस्था के उलट अब सभी जरूरी दवाएं प्राइस कंट्रोल वाली लिस्ट में नहीं आएंगी।
दवाओं की शॉर्ट लिस्टिंग करने का जिम्मा स्टैंडिंग नैशनल कमिटी ऑन मेडिसिंस को दिया गया है। नैशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिंस (NLEM) की 4 नवंबर को मीटिंग होने वाली है जिसमें संबंधित पक्ष अपने विचार जाहिर करेंगे। यह काम NLEM को अपडेट और फाइनल किए जाने से पहले होगा। मीटिंग में डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ रिसर्च के सेक्रेटरी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव की अध्यक्षता वाली कमेटी यह तय करेगी कि कौन-सी दवाएं समुचित गुणवत्ता के साथ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिए। सरकार के एक सीनियर अफसर ने कहा कि मीटिंग में कैंसर और दिल की बीमारियों में मरीजों को इलाज के लिए दी जाने वाली दवाओं की शॉर्टलिस्टिंग करने पर विचार किया जाएगा क्योंकि इन कैटिगरीज में बहुत से ड्रग डिवेलपमेंट हुए हैं। एक्सपर्ट के लिए एंटीबायॉटिक को लेकर विषाणुओं में प्रतिरोधक क्षमता बनने से रोकना प्राथमिकता वाला मसला है। जो दवाएं भारत में मरीजों पर प्रभावी नहीं रह गई हैं, उन्हें NLEM से बाहर निकाला जाएगा और नई दवाओं को शामिल किया जाएगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, हेल्थ मिनिस्ट्री में सेक्रेटरी प्रीति सूदन और डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स में सेक्रेटरी पीडी वघेला वाली दूसरी कमिटी के पास भेजा जाएगा जो यह फैसला करेगी कि किस दवा को प्राइस कंट्रोल के दायरे में लाना है। मौजूदा व्यवस्था में सभी जरूरी दवाएं अपने आप प्राइस कंट्रोल वाली दवाओं में शामिल हो जाती हैं। पुरानी व्यवस्था में हेल्थ मिनिस्ट्री ने प्राइस रेगुलेशन के दायरे में आने वाली दवाओं की सूची तैयार की थी जिसे मिनिस्ट्री ऑफ केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स ने ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर के शेड्यूल 1 में शामिल करा दिया था। इसके बाद नैशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी ने इस शेड्यूल में शामिल दवाओं के मूल्य निर्धारण का काम किया था।
NLEM में शामिल दवाओं और डिवाइसेज NPPA की तरफ से तय की गई कीमत पर ही बेची जा सकती हैं जबकि नॉन शेड्यूल लिस्ट वाली दवाओं के दाम में हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी करने की इजाजत है। NLEM के लिए स्टेकहोल्डर्स की पहली मीटिंग जुलाई में हुई थी और उसमें दवा कंपनियों, फार्मा लॉबी ग्रुप और नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन के प्रतिनिधि शामिल थे। एक्सपर्ट से कैंसर, दिल की बीमारियों के इलाज में काम आने वाली दवाओं, पेनसिलिन प्रिपरेशन पर फीडबैक, एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर जानकारी मांगी गई थी।