हल्द्वानी। प्रशासन लगातार अस्पतालों को चेतावनी दे रहा है कि डॉक्टर बाहर से दवा न लिखे। उसके बाबजूद भी डॉक्टर बाहर से मरीजों को दवा लिख रहें है। जिसको लेकर अब प्रशासन ठोस कदम सकता है। दरअसल बार-बार चेतावनी के बावजूद डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के कई डाक्टर बाहर से दवा लिखते हैं। जबकि इमरजेंसी से लेकर वार्ड में अधिकांश दवाइयां उपलब्ध हैं। जेनेरिक दवाइयां भी नहीं लिखते। शिकायत मिलने पर मेडिकल कालेज प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है। ऐसे डाक्टरों के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है। साथ ही कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है।

प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने कहा कि सभी डाक्टरों से अस्पताल के अंदर उपलब्ध दवाइयां व जेनेरिक दवाइयां ही लिखने को कहा गया है। फिर भी कुछ डाक्टर मानने को तैयार नहीं हैं। चेतावनी के बाद भी बाहर की दवा लिखने वाले कुछ डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।ऐसा नहीं कि अस्पताल में एंटीबायोटिक दवाइयां उपलब्ध न हों। करीब 18 से 20 प्रकार की महंगी एंटीबोयोटिक दवाइयां भी हैं। इसके बावजूद कुछ डाक्टर उसी दवा को नाम बदलकर पर्ची में लिख देते हैं, जो वहां उपलब्ध नहीं रहती। तीमारदारों को दवा बाहर से लानी पड़ती है। ऑपरेशन से जुड़ी अधिकांश सामग्री भी उपलब्ध रहती है।

एसटीएच में 209 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं। इमरजेंसी में ही 80 से 100 प्रकार की लाइव सेविंग ड्रग्स रखी गई हैं। प्रत्येक मरीज को यह दवाइयां दी जानी हैं। इसके बावजूद इमरजेंसी में कुछ डाक्टर बाहर से दूसरी ब्रांड की दवा लिख देते हैं। मरीज को दवा बाहर से लाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यही हाल वार्डों का भी है। मेडिकल कालेज प्रशासन दो बार चेतावनी पत्र जारी कर चुका है। ऐसे हरकतों से बाज नहीं आने वाले डाक्टरों की आंतरिक जांच शुरू करवा दी गई है।