नई दिल्ली। त्वचा पर इस्तेमाल की जाने वाली क्रीम में खतरनाक मेटल मरकरी (पारा) का इस्तेमाल तय मानकों से कहीं अधिक हो रहा है। इस तरह की क्रीम ई-कामर्स पोर्टल के अलावा बाजारों में भी धड़ल्ले से बिक रही हैं। गफ्फार मार्केट से लिए गए चार सैंपलों में मरकरी की मात्रा 48.17 से 1,10,000 पीपीएम तक पाई गई है। सिर्फ भारत ही नहीं, इन क्रीम का इस्तेमाल दुनिया भर में हो रहा है। यह दावा जीरो मरकरी वर्किंग ग्रुप ने किया है। यह ग्रुप मरकरी से होने वाले प्रदूषण पर काम करता है। इस ग्लोबल स्टडी में भारत के लिए टॉक्सिक लिंक ने स्टडी की है।
जीरो मरकरी वर्किंग ग्रुप की इस ग्लोबल स्टडी को 12 देशों में किया गया। इसमें पाया गया कि 158 क्रीम सैंपलों में से 96 में मरकरी का स्तर 40 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) से 1,30,000 पीपीएम तक है। भारत से लिए गए सैंपलों में मरकरी की मात्रा 48 से 1,13,000 पीपीएम तक पाई गई। यह तय मानक (1 पीपीएम) से काफी अधिक है। भारत से लिए गए ये सैंपल ऑनलाइन और ऑफलाइन कलेक्ट किए गए। इन सभी क्रीम के सैंपलों को मान्यता प्राप्त लैब में टेस्ट किया गया। स्टडी में यह भी सामने आया है कि जितने भी सैंपल लिए गए, उनमें ज्यादातर क्रीम एशिया में ही बनाई जा रही हैं। पाकिस्तान में 62 पर्सेंट, थाईलैंड में 19 पर्सेंट, चीन में 13 पर्सेंट क्रीम बनाई जा रही हैं।