सिगरेट के धुंए का छल्ला बना के…चल पड़े हैं यारा फिक्र धुंए में उड़ा के…
मानों देव कोहली के लिखे कांटे फिल्म के गाने की इन दो लाइनों में युवा सिमट-सा गया है, जो गहरी चिंता का विषय है। कॉरपोरेट युग में युवक/युवती एवं महिलाएं, मॉल/ऑफिस की सीढिय़ों और सडक़ किनारे बिंदास सीगरेट के कस खींचते खूब देखे जा सकते हैं। इन्हें देखकर लगता है कि वाकई युवाओं को जीवन की कोई फिक्र नहीं है। हां, उनकी इस लत से अभिभावकों की फिक्र जरूर बढ़ गई है।
इंडस हेल्थ संस्था द्वारा कराए गए सर्वे में सामने आया कि है कि दिल्ली-एनसीआर में करीब सात फीसदी महिलाएं धूम्रपान और तंबाकू का इस्तेमाल करती हैं। इनमें कॉरपोरेट आफिसों में नौकरी करने वाली महिलाएं/युवतियां, कॉलेजों में पढऩ़े वाली छात्राएं ज्यादा हैं। इस कारण कम उम्र में लड़कियां चेस्ट संक्रमण का शिकार हो रही हैं। फेफड़ों की बीमारी घर कर रही है। यह सर्वे जनवरी 2015 से अप्रैल 2016 के बीच 24,642 लोगों पर किया गया। इसमें 13,967 पुरुष और 10675 महिलाओं को शामिल किया गया।
धूम्रपान की लत 25 से 35 वर्ष की महिलाओं में ज्यादा दिखी। कई जगह यह लत महफिल में शौक की वजह मिली तो, कई जगह काम का तनाव दूर करने के लिए धीरे से सीगरेट उनके होठों से गहरी चिपक गई। गुटखा-तंबाकू का सेवन दो फीसदी ही सामने आया।
पीजीआई की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. वाणी कहती हैं कि युवा उम्र में लड़कियों की धूम्रपान की प्रवृत्ति उनके दांपत्य जीवन को भी प्रभावित करती हैं, खासकर गर्भावस्था में। पेट में पल रहे बच्चे की सेहत पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। धूूम्रपान सांस और हड्डी रोगों को भी जन्म देता है। सर्वे में देखा गया कि 11 फीसद युवा तनाव के कारण धूम्रपान करते हैं। जबकि 10 फीसदी कामकाजी युवा कार्यालयों में अपने समकक्षों और दोस्तों के साथ शौक-शौक में धूम्रपान के आदी हो जाते हैं।
ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्स फेडरेशन की सचिव, दिल्ली नर्स फेडरेशन की अध्यक्ष प्रेम रोज सूरी स्मोकिंग के प्रति लड़कियों की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंतित नजर आई। वह बताती हैं कि महानगरों में लड़कियों का खुलेआम सिगरेट पीना शगल हो गया है। आधुनिकरण के नाम पर समाज का ताना-बान न बिगड़े, इसके लिए मिलकर प्रयास करने चाहिए। क्योंकि बेटियां यदि दुष्प्रभावों की शिकार होंगी तो पूरी पीढ़ी पर इसका असर पड़ेगा।