रोहतक: हरियाण का एक और परिवार अपने मुखिया की देह पीजीआई में मेडिकल विद्यार्थियों को रिसर्च हेतु दान देकर ऐतिहासिक और पुण्यकर्म का भागीदार बना।
सब वाकिफ है कि मरने के बाद व्यक्ति का शरीर जीवित लोगों की जीजीविषा बढ़ाने में बेहद उपयोगी साबित हो सकता है, बावजूद इसके समाज के दकियानुसी विचार, अनपढ़ता और जागरुकता की कमी, इस राह में बड़ी बाधा है लेकिन यमुनानगर के अलमोंहा गांव निवासी गयासो देवी ने इन सारी बातों की परवाह किए बगैर अपने पति की अंतिम इच्छा पूरी की।
उन्होंने बताया कि उनके पति सुलेखचंद कंबोज की इच्छा थी कि मरणोपरांत उनका शरीर पीजीआईएमएस में छात्रों की रिसर्च के लिए दान किया जाए। गयासों देवी ने बताया कि उनके पति की इच्छा थी कि मरणोपरांत मेरे शरीर को जलाया ना जाए बल्कि उनके शरीर को मानवता के लिए दान किया जाए, ताकि उसके शरीर के अंग किसी जरूरतमंद व्यक्ति के काम आ सके। राजकुमार व रूपचंद ने बताया कि पिता की इच्छा के अनुसार उनके शरीर को जन सेवा दल रादौर के नेतृत्व में पीजीआईएमएस, रोहतक को दान किया। राजकुमार व रूपचंद ने कहा कि वें अपने परिजनों व ग्रामीणों को शरीर दान करने के लिए भी प्रेरित करेंगे। डॉ. कांता ने कहा कि हमें मरने के बाद भी अपनी यादें छोडऩी हैं तो अपनी आंखें दान करनी चाहिए क्योंकि जिन लोगों को आपकी आंखें लगेंगी वें ताउम्र आपके आभारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि गयासों देवी के परिवार ने शरीरदान करवाकर बहुत ही सराहनीय कार्य किया है और यह अन्य लोगों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा कि आज जब समाज के लोग रक्तदान करने से डरते हैं ऐसे में शरीर दान करना बहुत ही नेक कार्य है।
डॉ. विवेक मलिक ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि हमें समाज में फैली हुई भ्रांतियों से नहीं डरना चाहिए और ऐसे कार्यों के लिए आगे आना चाहिए जिससे समाज जागरुक हो। ने कहा कि हमें जीते जी रक्तदान भी करना चाहिए और मरणोपरांत शरीर दान करना चाहिए। इस अभूतपूर्व अवसर के डॉ. विपिन घरसा, अमित चोपड़ा, महेश अरोड़ा, डॉ. सतीश कंबोज, डॉ. राजेश गुप्ता, अभिषेक, हर्ष चौधरी, अनु मदान मुख्य रूप से गवाह बने।