नोएडा। आजकल लोग कपड़े, जूते, इलेक्ट्रॉनिक सामान और खाद्य सामग्री की तर्ज पर दवाएं भी ऑनलाइन मंगाने लगे हैं। दवा सस्ती मिले और यह मेडिकल स्टोर तक जाने के बजाय खुद घर पर आ जाए, इसके लिए लोग ऑनलाइन कंपनियों की ओर रुख कर रहे हैं। नई तकनीक में यह तरीका तब सही है, जब डॉक्टर से प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर दवा खरीदी गई हो और कंपनी सभी मानक पूरे करती हो। अगर इनमें से किसी एक में भी कोई चूक होती है तो आप सेहत के लिए खिलवाड़ कर बैठते हैं। कई बार लोग इंटरनेट पर सेहत को लेकर हो रही परेशानी शेयर करते हैं और वहां से दवाओं की जो जानकारी उपलब्ध कराई जाती है, उसे ही ऑनलाइन मंगा लिया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह तरीका बिल्कुल गलत है और आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए बिना डॉक्टर से सलाह लिए कोई भी दवा ऑनलाइन नहीं मंगवाएं।

जिन दवाओं में सबसे ज्यादा शिकायत मिल रही है उनमें हृदयरोग, तनाव और पेन किलर से जुड़ी दवाएं आपको परेशानी में डाल सकती हैं। इनके इस्तेमाल से न सिर्फ एलर्जी हो सकती है बल्कि कई बार रिएक्शन की वजह से आपके लिए सेहत के लिहाज से बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। दरअसल, कई बार कुछ दवा कंपनियां कुछ ऐसे तत्वों का इस्तेमाल करती है, जो प्रतिबंधित हैं और इस्तेमाल के बाद मानव शरीर में उनके नकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

दवा नियंत्रण एजेंसी से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार, सबसे पहले तो यह पता करना बहुत जरूरी है कि दवा नकली है या असली। इसके लिए उन्हीं ऑनलाइन कंपनियों से दवा खरीदें जो विश्वसनीय हों और जिन तक पहुंच आसान हो। कारण विश्वसनीय कंपनियां आपको डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन अपलोड करने को कहेंगी। अगर आप प्रिस्क्रिप्शन अपलोड नहीं करेंगे तो कंपनी दवा नहीं भेजेगी। साथ ही, तब आप कंपनी से लाइसेंस की मांग भी कर सकतेे हैं कि उसे दवा बेचने का अधिकार है या नहीं। कंपनी सही है तो काफी हद तक संभव है कि वहां आपको नकली दवा नहीं मिलेगी।

ऑनलाइन दवा मंगाते समय संबंधित कंपनी के नियम व शर्तें जानना जरूरी हैं। दवाओं की वापसी को लेकर कंपनी की नीतियां हैं या नहीं। यदि नहीं है तो दवा बिल्कुल नहीं खरीदें। दवा खरीदने से पहले कंपनी के कस्टमर केयर पर फोन करके या फिर ई-मेल से अपनी सभी शंकाओं का समाधान कर लें, जिससे बाद में आपको पछताना नहीं पड़े। इसके अलावा, जब आपको दवा मिले तो पक्का बिल जरूर लें, जिसमें दवा आपूर्ति करने वाले ड्रग डीलर का नाम, पता और उसका लाइसेंस नंबर होगा। साथ ही, इस्तेेमाल से पहले दवाओं की एक्सपायरी और मैन्युफैक्चरिंग जरूर चेक कर लें। दवा का रेपर कहीं से कटा-फटा नहीं हो यह भी देख लें। यह भी देख लें कि कंपनी ने वही दवाएं भेजी हैं जो आपने डॉक्टर से सलाह के बाद उन्हें आर्डर की थी। कई बार कंपनियां सबस्टीट्यूट दवाएं भेज देती हैं। अगर दवा काम नहीं कर रही या उसमें कोई गड़बड़ मिलती है तो इसकी शिकायत स्टेट ड्रग कंटोलर से की जा सकती है।