अम्बाला। समाज में आज भी उम्र-दराज लोगों को हर जगह मान-सम्मान देने की ही बात होती है, परंतु आज की जनरेशन ने मानो सभी जमीनी हकीकतों से मुंह मोड़ लिया है। कुछ ऐसा ही वाक्या मुंबई के हाकिम भाई के साथ उस समय पेश हुआ, जब उन्होंने अपनी 2013 से चली आ रही भागीदारी वाली दुकान से नाता तोड़ अपने बेटे के साथ दवा व्यापार की नई इबारत लिखने के मन से नया काम शुरू किया। उन्होंने सनोफी कंपनी को आग्रह किया कि उन्हें अपने नए प्रतिष्ठान के लिए दवाएं पूर्व की तरह उपलब्ध करवाएं। सनोफी के अधिकारियों ने हाकिम भाई को अपने कार्यालय बुलाया। वहां सप्लाई डायरेक्टर ने हाकिम को सभी सदस्यों की मौजूदगी में खूब भला-बुरा कहा। उन्होंने कहा कि अब आपकी उम्र काम करने की नहीं है, अत: आप आराम करें। हमारा आपके क्षेत्र में नेटवर्क बहुत अच्छा है, हम आपको दवाओं की सप्लाई नहीं देंगे। यदि दोबारा सप्लाई मांगने की कोशिश की या तो संगठन का अनापत्ति पत्र लेकर आएं जो कंपीटिशन कमीशन आफ इंडिया के निर्देशों के विपरीत है या न्यायालय के चक्कर काटने को तैयार रहो। कंपनी की सप्लाई लेने के इच्छुक हाकिम भाई ने सनोफी के कार्यालय से बाहर आते हुए भरे गले से अपनी वेदना को सांझा किया कि उन्हें आज तक किसी ने ऊंची आवाज में बात नहीं की, जो आज सनोफी ने मेरी इज्जत को तार-तार कर दिया। इस बारे सनोफी कार्यालय में बात करनी चाही तो फोन ऑपरेटर ने सभी संबंधित अधिकारियों के अन्य कार्यों में व्यस्तता के बारे सूचित करते हुए बात कर पाने में असमर्थता जाहिर की।