चंडीगढ़। हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल के निलंबित प्रधान केसी गोयल ने चंडीगढ़ में एक पत्रकार वार्ता में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के विरुद्ध जमकर मोर्चा खोला। आरोप लगाया कि उन्होंने मनमाने तरीके से नियमों के विरुद्ध एक निर्वाचित चेयरमैन को छुट्टी वाले दिन निलंबित करके ऐसे सदस्य को चेयरमैन पद पर आसीन कर दिया, जिसे हरियाणा सरकार ने सदस्य मानने से इनकार कर दिया था। केसी गोयल ने कहा कि वह स्वास्थ्य मंत्री के निशाने पर उस दिन आए जब मंत्री ने अपने चहेते अरुण पराशर को 21 नवंबर 2015 को नियुक्ति पत्र देकर काउंसिल का रजिस्ट्रार लगा दिया। उन्होंने लिखित में स्वास्थ्य मंत्री को अपना पक्ष रखा कि अरुण पराशर बतौर रजिस्ट्रार अपने शैक्षणिक योग्यता पूरी नहीं करता। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाकर 23 नवंबर 2015 को धमकाया कि या तो वह सरकार का कहना माने या अरुण पराशर को बतौर रजिस्ट्रार काउंसिल में ज्वाइन करवाएं या फिर जेल जाने की तैयारी कर लें।
गोयल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री विज अपने चहेतों को खुश करने के लिए उन्हें मानसिक रूप से प्रताडि़त कर रहे हैं, जबकि उनके चहेते अरुण पराशर को 89 दिनों के लिए मैंने काउंसिल में ज्वाइन करवा दिया। जैसा स्वास्थ्य मंत्री  ने कहा था कि इस समय अरुण पराशर को ज्वाइन करवा दो तथा काउंसिल की शर्तों के अनुसार रेगुलर रजिस्ट्रार की मांग लिखित रूप से दो, उन्हें शीघ्र स्वीकृति मिल जाएगी। यह स्वीकृति आज दिन तक नहीं मिली। उल्टा उन्हें मंत्री के चहेते के विरुद्ध आवाज उठाने के आरोप में निलंबित कर दिया, जो सरासर लोकतंत्र की हत्या भी है। गोयल ने कहा कि मैंने सरकार के हर अधिकारी को अपने विरुद्ध बिछाए जाल को एक राजनीतिक षड्यंत्र बता राहत प्रदान करने की गुहार लगाई परंतु कोई भी सरकारी अधिकारियों ने असमर्थता ही व्यक्त की।
उधर केसी गोयल के लगाए आरोपों बारे जब काउंसिल के रजिस्ट्रार अरुण पराशर से जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि उनकी शैक्षणिक योग्यता बिल्कुल नियमों पर खरी उतरती है। कोई भी इसके बारे में स्कूल व कॉलेज से आरटीआई के माध्यम से जानकारी ले सकता है। पराशर ने कहा कि गोयल जब तक पद पर थे तब तक उनकी नजर में वह बिल्कुल ठीक थे। अब जब सरकार ने विजिलेंस की रिपोर्ट के आधार पर गोयल को निलंबित कर दिया तो कभी मंत्री और कभी मुझे सार्वजनिक रूप से बदनाम करने की ओछी हरकतें करते रहते हैं। पराशर ने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए वे इस मुद्दे पर और ज्यादा प्रकाश नहीं डाल सकते। न्यायालय जब भी उनसे काउंसिल के रजिस्ट्रार होने के नाते जो दस्तावेज चाहेंगे, उन दस्तावेजों को न्यायालय में पहुंचा देंगे ताकि गोयल की असलियत सार्वजनिक कोर्ट के माध्यम से हो सके।
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने धमकी देने बारे में बताया कि यह आरोप बेबुनियाद हंै। उन्होंने केसी गोयल व उनके बेटे को अपने कार्यालय में इज्जत और मान के साथ सरकार की नीतियों के बारे में बात सांझा की कि फार्मासिस्टों को आ रही किल्लत से निजात दिलाने के लिए टू स्टॉप गैप अरुण पराशर को रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया तथा नए रजिस्ट्रार के लिए प्रक्रिया अपनाने के लिए मशविरा दिया था उनकी फाइल में कमियां होंगी, तभी आज तक उनकी फाइल स्वीकृत नहीं हो पाई।