जींद। जींद के नैन अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस जारी कर करनाल के काबुलपुर गांव की एक महिला का अवैध वरीक से गर्भपात किए जाने को लेकर जवाब मांगा है। सिविल सर्जन एवं एम.टी.पी. एक्ट की जिला स्तरीय कमेटी के चेयरपर्सन ने जींद के नैन अस्पताल की संचालिका डा. सीमा नैन को नोटिस भेजकर कहा कि 21 जनवरी को सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा गठित टीम ने अस्पताल का दौरा किया था। तो वहीं दूसरी तरफ जींद के नैन अस्ताल की संचालिका डॉ. सीमा नैन ने अपने हॉस्पिटल में करनाल के कबूलपुर गांव की गर्भवती महिला का गैर कानूनी गर्भपात करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के नोटिस को लेकर कहा कि उन्होंने कोई गैर कानूनी गर्भपात नहीं किया। तो वहीं दूसरी तरफ जींद के सिविल सर्जन डा. मंजीत सिंह ने कहा कि नैन अस्पताल को इस तरह का नोटिस दिए जाने की पुष्टि की है।

दरअसल यह टीम नैन अस्पताल में करनाल जिले के काबुलपुर गांव की गर्भवती महिला बरमति का अवैध तरीके से गर्भपात किए जाने की सूचना मिलने के बाद गठित कर नैन अस्पताल भेजी गई थी।टीम ने जांच के बाद पाया कि सफीदों के माया अस्पताल और किरणदीप अल्ट्रासाऊंड सैंटर असंध की रिपोर्ट अनुसार बीरमति की एल.एम.पी. अनुसार 20 जनवरी, 2021 को बीरमति के गर्भ की अवधि 18 सप्ताह बनती है जबकि नैन अस्पताल केवल 12 सप्ताह तक की गर्भवति महिला का गर्भपात करने के लिए अधिकृत है। बीरमति 20 जनवरी, 2021 को सायं लगभग 4 से 4.30 बजे के बच चैन अस्पताल में दखिल हुई थी । स्वास्थ्य विभाग की टीम ने निरीक्षण के समय बीरमति का अस्पताल के एडमिशन रजिस्टर में दाखिला दर्ज हुआ नहीं पाया। बीरमति की कोई इंडोर फाइल भी नहीं बनाई गई थी। नोटिस में स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि इससे संदेह पैदा होता है कि बीरमति के इलाज से संबंधित तथ्यों को अस्पताल छिपाना चाहता था। गर्भवती महिला बरमति का गर्भपात करने से पहले सहमति नहीं ली गई थी।

दरअसल जबकि एम.टी.पी. एक्ट और नियमों अनुसार यह करना जरूरी थी | द्वैप अल्ट्रासाउंड सैंटर असंध की रिपोर्ट में दोबारा अल्ट्रासाउंड बारे में लिखा गया है जिससे भ्रूण के जीवित होने के बारे पता लगाया जा सके लेकिन आपने बीरमति का कोई अल्ट्रासाउंड नहीं करवाया और बीरमति का गर्भपात कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने उपरोक्त त्रुटियों के मद्देनजर नैन गलत एमटीपी एक्टर 1971 के सैक्शन 3 और 4 तहत नोटिस जारी कर कहा कि क्यों न अस्पताल का गर्भपात को लेकर रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाए। 7 दिन में नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है। नोटिस में यह भी कहा गया है कि 7 दिन में जवाब नहीं मिला तो यह समझा जाएगा कि आप इस मामले में कुछ नहीं कहना चाहती और अस्पताल के खिलाफ एक तरफा कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।