गोरखपुर। सरकारी अस्पतालों से मरीजों को बरगलाकर एजेंट निजी अस्पतालों में भर्ती करा रहे हैं। वहां इलाज के नाम पर जबरन वसूली की जा रही है। मांग करने पर भी डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग ने सभी निजी अस्पतालों की नकेल कसने की तैयारी की है। सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय ने कहा कि कमेटियां गठित की जा रही हैं। सभी निजी अस्पतालों में मानकों की जांच की जाएगी। कमियां मिलने पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। एंबुलेंस कर्मियों पर भी नजर रखी जाएगी। सभी अस्पतालों में मानकों की जांच होगी। कमियां मिलने पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

निजी अस्पतालों की जांच कोरोना के चलते एक साल से बंद है। जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने सभी निजी अस्पतालों की जांच करने का निर्णय लिया है। इसके लिए तीन कमेटियां बनाई जाएंगी। हर कमेटी में एक एसीएमओ व एक स्वास्थ्य कर्मी को शामिल किया जाएगा। इस कार्य में ड्रग विभाग की भी मदद ली जाएगी। एक कमेटी को एक दिन में 10 अस्पतालों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। शहर में लगभग 300 सौ अस्पताल पंजीकृत हैं जबकि स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि चार सौ से अधिक अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं। निजी अस्पतालों के एजेंटों में सरकारी व गैर सरकारी एंबुलेंस कर्मी भी शामिल हैं।

मेडिकल कालेज में वे डेरा जमाए रहते हैं और वहां पहुंचने वाले मरीजों को सस्ते इलाज का झांसा देकर निजी अस्पतालों में पहुंचा देते हैं। कुशीनगर के मरीज को निजी एबुलेंसकर्मियों ने झांसा दिया। इसके पूर्व एक सरकारी एंबुलेंस कर्मी द्वारा मेडिकल कालेज से मरीज को पादरी बाजार के एक अस्पताल में पहुंचाने का मामला सामने आया था। पिछले दिनों कुशीनगर के एक मरीज को सस्ते इलाज का झांसा देकर एजेंटों ने बाबा राघव दास मेडिकल कालेज से गोपालापुर स्थित न्यू लोटस हास्पिटल में भर्ती करा दिया। वहां उससे एक लाख से अधिक रुपये वसूल लिए गए, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ।

स्वजन से केवल पैसे की मांग की जाती रही। मरीज को डिस्चार्ज भी नहीं किया जा रहा था। स्वजन बाबूलाल ने जिला प्रशासन से शिकायत की। जांच हुई तो मामला सही पाया गया। प्रशासन ने तत्काल मरीज को बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में शिफ्ट कराया। इसके बाद निजी हास्पिटल की जांच शुरू हो गई। वहां दवाएं भी अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक दाम में बेचे जाने का मामला सामने आया है। मेडिकल स्टोर के दो कर्मचारियों पर ईसी एक्ट के तहत ड्रग विभाग ने मुकदमा भी दर्ज करा दिया है। सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय ने अस्पताल को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है कि वह मरीज वहां कैसे पहुंचा, कौन डाक्टर उसका इलाज कर रहे थे और दवाएं क्या चलाई जा रही थीं। मरीज से कितने पैसे लिए गए।