गोरखपुर। कोडीनयुक्त दवा का कारोबार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसको रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग नए -नए तरीके अपना रहा है। इसी कड़ी में चार दवा व्यापारियों का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया गया है। गौरतलब है कि युवा नशे का सामान उपलब्ध न होने पर प्रतिबंधित दवाओं का प्रयोग खुलेआम करते हैं। फर्जी चिकित्सकों के पर्चों का प्रयोग करके भी कोडीनयुक्त दवाएं ले लेते हैं। इसके अलावा दवा की दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारी भी मोटी रकम लेकर युवाओं को प्रतिबंधित दवाएं पहुंचा रहे हैं। इन दवाओं की खरीद के लिए ऑनलाइन शापिंग का भी सहारा लिया जा रहा है। इनमें कोफेक्स, चोको, एल्पाजोलाम, कोडेक्ट, जैनोडिल, रेक्सोडेन जैसे सीरप शामिल हैं।

गोरखपुर जिले में कोडीनयुक्त दवा बेचने वाले व्यापारी और फुटकर दुकानदार विभाग के रडार पर हैं। लखनऊ में कोडीनयुक्त सिरप बेचने वाले चार व्यापारियों के लाइसेंस निरस्त होने के बाद विभाग ने जांच का फैसला लिया है। जांच में यह जानकारी की जाएगी कि कही व्यापारी प्रतिबंधित दवाओं को खुलेआम तो नहीं बेच रहे हैं। उनके स्टाक का मिलान करते हुए दवाओं के सैंपल भी लिए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक, जौनपुर में 61 हजार बॉटल कोडीनयुक्त सिरप नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो लखनऊ और एसटीएफ वाराणसी ने बरामद किया था। जांच में यह बात सामने आई कि यह सिरप लखनऊ और वाराणसी की थोक मंडियों में भी पहुंचाई गई है। वही, लखनऊ में जिन चार दवा व्यापारियों के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं, वे पूर्वांचल के कई जिलों में कोडीनयुक्त सिरप की सप्लाई कर चुके हैं।

ऐसे में विभाग ने यहां पर भी जांच का निर्णय लिया है, जिससे यह जानकारी मिल सके कि कही जौनपुर वाली अवैध सिरप तो जिले में नहीं पहुंची है। ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि कोडीनयुक्त सिरप केवल डॉक्टरों के पर्चें पर ही दी जा सकती है। अवैध रूप से बेचने वाले फुटकर और थोक दुकानदारों पर कार्रवाई की जाएगी। एमडी मेडिसिन डॉ. गौरव पांडेय ने बताया कि कोडीनयुक्त दवाएं सामान्य मरीजों को नहीं दी जाती हैं। पहले खांसी, खून की उल्टी होने, कैंसर के मरीजों को यह दवाएं दी जाती थीं। इसके अलावा बच्चों को भी चिकित्सक के देखरेख में दवाएं दी जाती हैं। इसके अधिक इस्तेमाल से लिवर, किडनी, फेफड़े, हृदय जैसे अंग प्रभावित होते हैं।