Yuva Haryana: एक ओर एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, और एमआरआई जैसी तकनीकियों के माध्यम से डॉक्टरों को मरीजों का बेहतर इलाज करने की सुविधा मिलती है, वहीं इनके अधिक प्रयोग से लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
इसलिए रेडियोलॉजी विभाग को किसी भी अस्पताल का आईना कहा जा सकता है क्योंकि डॉक्टर द्वारा किसी भी मरीज का बेहतर और सूक्ष्मता से इलाज एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन व एमआरआई के बिना अब संभव नहीं है,
लेकिन आजकल इनका जरूरत से ज्यादा प्रयोग होने लगा है। जिससे लोग रेडिएशन की चपेट में आने से गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे है। नागरिक अस्पताल में रोजाना 180 से 200 के बीच में एक्स-रे, 15 से 20 सीटी स्कैन व 60 से 70 के बीच में अल्ट्रासाउंड हो रहे हैं।
डॉ. गुलशन राय, सोनोलॉजिस्ट, ने बताया कि एक वर्ष में मात्र 10 एक्स-रे से निकलने वाली रेडिएशन ही अपने शरीर के ऊपर पर झेल सकता है और इसके बाद यह खतरनाक होता है। उन्होंने जागरूकता की कमी को बताते हुए कहा कि लोगों को यह जानकर चाहिए कि अत्यधिक एक्स-रे और सीटी स्कैन से बचना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
रवियंश मलिक, रेडियोलॉजी ऑफिसर, ने बताया कि एक्स-रे और सीटी स्कैन सबसे खतरनाक हैं, जिससे कैंसर का खतरा भी बढ़ता है। इन्हें अधिक से अधिक जरूरत पड़ने पर ही करवाना उचित है।
सपना रानी, रेडियोलॉजी ऑफिसर, ने बताया कि अल्ट्रासाउंड और एमआरआई स्कैन इन दोनों से रेडिएशन का नामात्र ही असर दिखाया जाता है और इन्हें जरूरत पड़ने पर ही करवाना उचित है। इनमें रेडिएशन का असर कम होने के बावजूद भी लोगों को इनका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
रामनिवास, रेडियोलॉजी ऑफिसर, ने बताया कि रेडियोलॉजी के आने से हड्डी रोग विभाग को बहुत फायदा हुआ है, क्योंकि इससे हड्डियों की स्थिति और सूजन की जानकारी हो सकती है। उन्होंने इसे संजीवनी रेडियोलॉजी के रूप में बयान किया और जरूरत के अनुसार ही इसका प्रयोग करवाना सुनिश्चित किया।