चंडीगढ़: हरियाणा में जो फार्मा कंपनी बिना लाइसेंस और फर्जी दस्तावेज पर दवा सप्लाई करते पाई गई थी, राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने थैलेसीमिया पीडि़तों के लिए दवा खरीद का ठेका उसी कंपनी को दे दिया। हरियाणा मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लि. ने दवा की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए उसे डेबार (निषेध ) कर दिया था। इसकी सूचना राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन को भी दी गई थी। हैरानी इस बात को लेकर भी है कि हरियाणा मेडिकल सर्विसेज ने 13 सितंबर को इस फर्म की खराब दवा और डेबार की सूचना दे दी थी, फिर भी आरएमएससी ने दवा सप्लाई का ऑर्डर जारी कर दिया।

हरियाणा में तीन साल के लिए डेबार गुजरात की सेंचुरियन लेबोरेट्री ने राजस्थान में थैलेसीमिया मरीजों की डेफ्रासिरोक्स (500 मिलीग्राम) की 30 लाख रुपए कीमत की 1 लाख 80 हजार टेबलेट सप्लाई भी कर दी है। यह दवा निशुल्क योजना में शामिल है। खून चढ़ाते समय जमा आयरन को बाहर निकालने के लिए इस टेबलेट का इस्तेमाल होता है। हरियाणा में दवा मानकों पर खरी नहीं उतरी थी। सोचने वाली बात है कि जब हरियाणा में फर्जी घोषित दवा कंपनी के राजस्थान में दस्तावेज क्यों नहीं ठीक से जांचे गए। हालांकि यह कंपनी राजस्थान में 2016 से ही थैलेसीमिया सहित 56 दवाओं की सप्लाई दे रही है।

विशेषज्ञों के अनुसार टेंडर शर्तो की पालना नहीं करने, फर्जी दस्तावेज से टेंडर में शामिल होने तथा जांच में गलत पाए जाने पर फर्म को 5 साल के लिए ब्लैक लिस्ट करने तथा परफॉरमेंस सिक्योरिटी जब्त करने का प्रावधान है। राजस्थान थैलेसीमिया चिल्ड्रन सोसायटी के अध्यक्ष नरेश भाटिया के मुताबिक, राज्य में थैलेसीमिया के 2 हजार से ज्यादा मरीज है। इनमें से अकेले जयपुर में 500 मरीज हैं। चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा कि मामला गंभीर है लेकिन जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। यदि कंपनी ने शर्तों का पालन नहीं किया है तो फर्म के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही होगी।