ग्वालियर (मप्र)। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेनिटिडिन की दवाओं पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मेडिकलों स्टोरों पर बिना डॉक्टर की सलाह के रेनिटिडिन ड्रग से बनने वाली दवाइयां धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। आमजन के स्वास्थ्य के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने कंट्रोलर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता ने दवा खरीदने पर जो एक हजार रुपए खर्च किए हैं, उसकी राशि याची को लौटाई जाए। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता विभोर कुमार साहू को आदेश दिया था कि वे शहर में जाएं और रेनिटिडिन ड्रग से बनने वाली दवाइयों को किस तरह शहर में बेचा जा रहा है, उसका पूरा ब्यौरा कोर्ट में पेश करें।
गौरतलब है कि विभोर साहू ने 3 मार्च को 10 मेडिकल स्टोरों से रेनिटिडिन ड्रग से बनने वाली दवा खरीदीं। 4 मार्च को एक मेडिकल स्टोर से उन्होंने एसीलॉक टैबलेट खरीदी। इस दवा का उपयोग पेट गैस व एसिडिटी में किया जाता है। इसके साथ उन्होंने अन्य नाम की दवाओं को भी खरीदा। बिना डॉक्टर के पर्चे व सलाह के विभोर साहू को दवा दे दी गई। मेडिकल से पक्के बिल भी दिए गए। उन्होंने बताया कि उन्हें बिना रोकटोक के दुकानों से रेनिटिडिन ड्रग से बनी दवाइयां मिल गईं। याचिकाकर्ता ने बाजार में दवा की बिक्री की जो स्थिति थी, उससे कोर्ट को अवगत कराया। साथ ही उन मेडिकलों की भी सूची पेश की, जिन्होंने बिना डॉक्टर की सलाह के दवा की बिक्री की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस रिपोर्ट के आधार पर कंट्रोलर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही याचिकाकर्ता ने दवा खरीदने में जो पैसे खर्च किए थे, उसके एक हजार रुपए खाते में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। यह पैसा कंट्रोलर फूड एंड ड्रग विभाग देगा।