नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से कहा कि वह ब्लैक फंगस रोगियों के उपचार में काम आने वाली दवा ‘लाइपोसोमल एंफोटेरेसिन बी’ की उपलब्ध्ता पर स्थिति रिपोर्ट दायर करे। ब्लैक फंगस रोग (म्यूकरमाइकोसिस) मुख्यत: उन लोगों में सामने आ रहा है जो कोविड-19 से ठीक हुए हैं। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने केंद्र से यह भी कहा कि वह ‘लाइपोसामल एंफोटेरेसिन बी’ की मात्रा, लंबित आपूर्ति और इसके घरेलू उत्पादन पर भी स्थिति रिपोर्ट दायर करे।

अदालत ने कहा कि केंद्र को यह रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर दायर करनी होगी। उच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या वर्तमान में दवा की कोई कमी है, इसपर न्याय मित्र ने कहा कि फिलहाल दवा की कोई कमी नहीं हैं, क्योंकि बीमारी के मामलों की संख्या कम हो गई है। उन्होंने कहा कि लेकिन मुद्दा यह है कि क्या आवश्यकता पड़ने पर दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होगी। पीठ ने कहा, ‘‘यदि हम कोविड-19 की तीसरी लहर को लेकर तैयारी कर रहे हैं तो हमें इसके लिए प्रबंध देखने की आवश्यकता है।’’

अदालत ने केंद्र से यह भी कहा कि वह मुद्दों को तात्कालिकता के हिसाब से देखे और पहले उन पहलुओं पर विचार करे जो ज्यादा आवश्यक हैं जैसे कि दवाओं एवं ऑक्सीजन के बफर स्टॉक की उपलब्धता। केंद्र के वकील ने अदालत को सूचित किया कि देश में वर्तमान में ब्लैक फंगस के 17,000 मामले हैं, जबकि पहले यह संख्या 23-24,000 थी। अदालत ने केंद्र से कहा कि वह इस बारे में भी स्थिति रिपोर्ट दायर करे कि कोविड-19 के उपचार से संबंधित रेमडेसिविर का निर्यात क्या शुरू हो गया है और इसका भंडार कितना है। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या निर्यात उद्देश्य के लिए विनिर्मित दवा को अब घरेलू बाजार में बेचने की अनुमति है।