नई दिल्ली। सभी प्राइवेट अस्पतालों को सडक़ हादसे के मरीजों का कैशलेस इलाज करना होगा। यही नहीं, अगर किसी मरीज को कोई अस्पताल दूसरे प्राइवेट अस्पताल में रेफर करता है, तब भी कैशलेस इलाज देना होगा। राहत की बात उन एक्सीडेंट मरीजों के लिए भी है, जिनका इलाज के दौरान पैसा खत्म हो जाए या फिर बीमा की लिमिट क्रॉस हो जाए तो उन्हें भी प्राइवेट अस्पतालों में कैशलेस इलाज मिलेगा। सरकार ने ‘फरिश्ते दिल्ली’ के योजना के तहत यह सुविधा देने का फैसला किया है। दिल्ली सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने सभी प्राइवेट अस्पतालों के अंदर तीन जगहों पर इससे संबंधित सूचना को भी प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है। इस योजना के तहत इलाज से इनकार करने पर दिल्ली सरकार अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर देगी।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने ‘फरिश्ते दिल्ली’ योजना के तहत पीडि़तों को गोल्डन आवर में इलाज मुहैया कराने के लिए न केवल प्राइवेट अस्पतालों को इलाज करना अनिवार्य किया है, बल्कि उन्हें अपने अस्पतालों के अंदर तीन जगहों पर इससे संबंधित सूचना को भी प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है। आप सरकार की इस योजना के तहत दिल्ली के सभी प्राइवेट अस्पतालों को रोड एक्सीडेंट, एसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी के पीडि़तों को कैशलेस इलाज करना अनिवार्य है। सभी प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को तीन प्रमुख स्थानों पर स्थायी सूचना बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए स्थान भी निश्चित किया गया है। बाहर का प्रवेश द्वार (सडक़ के किनारे से दिखाई देने वाला), इमरजेंसी वार्ड का प्रवेश वाले जगह पर और तीसरा रिसेप्शन या कोई अन्य प्रमुख स्थान पर यह सूचना लगानी है। यही नहीं, सरकार ने सभी प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को दो हफ्ते के भीतर यह व्यवस्था करनी है। हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम की ओर से सडक़ दुर्घटना, एसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी मामलों में इलाज से इनकार करना दंडनीय अपराध होगा और अगर ऐसी कोई घटना होती है, तो दिल्ली सरकार अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर देगी। यही नहीं, इस योजना के तहत सडक़ दुर्घटना के किसी भी पीडि़त को कैशलेस इलाज प्रदान किया जाएगा। चाहे पीडि़त को 72 घंटे के भीतर संबंधित प्राइवेट अस्पताल में लाया या भेजा या स्थानांतरित किया गया है, तब भी इलाज करना अनिवार्य है। डिपार्टमेंट का कहना है कि अगर सडक़ दुर्घटना के एक पीडि़त मरीज का प्राइवेट अस्पताल में नकद या बीमा के माध्यम से इलाज चल रहा है और मरीज का पैसा खत्म हो जाए या बीमा राशि समाप्त हो गई है, तो ऐसे मरीज को भी कैशलेस आधार पर आगे का इलाज मिलेगा। हालांकि, अस्पताल की सबसे निचली अर्थव्यवस्था श्रेणी में आगे का इलाज किया जाएगा। यहां हेल्थ डिपार्टमेंट ने यह साफ कर दिया है कि इलाज में पहले किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति नहीं की जाएगी। एक बात यह भी है कि अगर इस योजना के तहत पहली बार इलाज के बाद छुट्टी दे दी जाती है, तो सरकार आगे के इलाज का खर्च वहन नहीं करेगी। योजना के जरिए सरकार पीडि़त को दूसरे अस्पताल या नर्सिंग होम में एंबुलेंस से ले जाने पर दस किलोमीटर के दायरे में एक हजार रुपये देगी। उसके ऊपर सौ रुपये प्रति किलोमीटर दिया जाएगा। इसके लिए शर्त यह है कि कैट्स एंबुलेंस उपलब्ध न हो तो। सडक़ दुर्घटना वगैरह के पीडि़तों के इलाज के लिए ऑल-इनक्लूसिव पैकेज रेट्स तय हैं, जिसे दिल्ली की गवर्निंग बॉडी आरोग्य कोष द्वारा तैयार किया गया है। दिल्ली आरोग्य कोष का इस्तेमाल सडक़ दुर्घटनाओं, एसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी के पीडि़तों के इलाज के लिए किया जाएगा। अब तक, सडक़ दुर्घटना के 3000 से अधिक पीडि़त, एसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी के पीडि़तों का इलाज निजी अस्पतालों में कैशलेस हो चुका है।