नई दिल्ली। आज के समय में हार्ट अटैक बढ़ते ही जा रहें है। और ऐसे मामले ज्यादातर बुजुर्ग और युवाओं में देखने को मिल रहें है। अगर आप भी हार्ट अटैक रोकने के लिए इस तरीका का प्रयोग करते है तो सावधान हो जाइए। बता दें कि एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है। हार्ट अटैक या स्ट्रोक से बचने के लिए अक्सर कई लोग एस्पिरिन दवा ले लेते हैं। अब हेल्थ एक्सपर्ट्स लोगों को इस आदत से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं। US प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स ने इस एडवाइजरी के लिए एक नया ड्राफ्ट तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि जिन बुजुर्गों को दिल की बीमारी नहीं है उन्हें पहले हार्ट अटैक या स्ट्रोक से बचने के लिए डेली डोज में एस्पिरिन दवा लेने की जरूरत नहीं है।

ड्राफ्ट में कहा गया है कि 60 साल और उससे अधिक उम्र के लोगो में जिन्हें पहले कभी हार्ट अटैक या स्ट्रोक नहीं आया है, उन्हें एस्पिरिन दवा से किसी तरह का लाभ नहीं मिलेगा। बल्कि इससे उनमें ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है। पैनल ने पहली बार एस्पिरिन दवा को लेकर इस तरह का ड्राफ्ट बनाया है। पैनल के अनुसार 40 साल से कम उम्र के लोगों को इस दवा को थोड़ा फायदा मिल सकता है। वहीं 50 की उम्र के लोगों में इस दवा का कोई लाभ नहीं देखा गया है।

एस्पिरिन दवा एक पेन किलर है लेकिन ये ब्लड थिनर का भी काम करती है। ये दवा ब्लड क्लॉटिंग को कम करती है। हालांकि इस दवा के नुकसान भी हैं भले ही इसे कम डोज में क्यों ना लिया जाए। इसकी वजह से पाचन तंत्र या अल्सर में ब्लीडिंग भी हो सकती है जो जानलेवा साबित हो सकती है। यही वजह है कि हेल्थ एक्सपर्ट्स एस्पिरिन दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दे रहे हैं।

ये गाइडलाइन विशेष तौर पर हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रोल, मोटापे और अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए हैं क्योंकि ये सारी चीजें हार्ट अटैक या स्ट्रोक की संभावना को बढ़ाते हैं। इसके अलावा एस्पिरिन दवा लेने या रोकने से पहले अपने डॉक्टर से जरुर संपर्क करें। टास्क फोर्स के सदस्य डॉ जॉन वोंग ने कहा, ‘एस्पिरिन शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि उम्र के साथ इसका खतरा बढ़ता जाता है।’

इससे पहले 2016 में पैनल ने ही पहले हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बचने के लिए एस्पिरिन दवा लेने की सलाह दी थी। उस समय पैनल का कहना था कि 50-60 साल के उम्र के लोग डेली डोज में एस्पिरिन दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे हार्ट अटैक के अलावा कोलोरेक्टल कैंसर से भी बचा जा सकता है लेकिन अब पैनल के नए ड्राफ्ट में इन सिफारिशों में बदलाव किया गया है। पैनल का कहना की इसके और प्रमाण जुटाने की जरूरत है।