सोलन। कोरोना महामारी से बचाव के लिए पूरे देश में हैंड सैनिटाइजर व मास्क का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है। कुछ उद्योग संचालकों ने इसे कमाई का साधन बनाने पर ही जोर दिया है। हालांकि प्रदेश के उद्योगों में निर्मित हैंड सैनिटाइजर की गुणवत्ता पर अभी तक सवाल नहीं उठे हैं, लेकिन अन्य राज्यों में निर्मित हैंड सैनिटाइजर के सैंपल फेल होने पर लोगों का विश्वास इनपर से उठने लगा है।हिमाचल प्रदेश में भी लगभग 160 उद्योग ऐसे हैं, जो हैंड सैनिटाइजर बना रहे हैं। शिमला, सोलन व जिला सिरमौर में दवाओं और हैंड सैनिटाइजर की आपूर्ति करने वाले कुछ डिस्ट्रीब्यूटर के अनुसार उनके पास गुणवत्ता वाला स्टॉक आता है। वह पहले कंपनी को चेक करते हैं और उसके बाद ही स्टॉक अपने पास जमा करते हैं। पंजाब व दिल्ली के जिन उद्योगों में खराब हैंड सैनिटाइजर के मामले आए हैं, उनमें से कोई भी प्रोडक्ट अभी तक हिमाचल नहीं पहुंचा था। पैसिफिक मेडिसिन डिस्ट्रीब्यूटर के प्रबंधक नीरज मित्तल ने बताया कि फिलहाल उनके पास उक्त कंपनियों से निर्मित कोई भी उत्पाद नहीं है। सीडीएससीओ यानी केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन की जांच के अनुसार नौ हैंड सैनिटाइजर की गुणवत्ता खराब पाई गई है। सीडीएससीओ की टीम ने कोलकाता के अलावा चंडीगढ़ के बाजार से इनके सैंपल लिए थे। आठ सैंपल चंडीगढ़ से खराब मिले हैं।स्टेट डिप्टी ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में ड्रग इंस्पेक्टर समय-समय पर जाकर सैंपल लेते हैं। अब तक ऐसा कोई भी मामला नहीं आया है कि हैंड सैनिटाइजर का सैंपल फेल पाया गया हो। इसके अलावा सीडीएससीओ का कार्यालय बद्दी में भी स्थापित है, जो अपने स्तर पर जांच करता है।