रोहतक। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले अपने परिवार के सदस्यों की सेहत को ध्यान में रखते हुए हेल्थ इंश्योरेंस सम्बन्धी जरूरतों का पता लगाना जरूरी है। इसके बाद अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले लाभों और सुविधाओं की तुलना करते हुए, एक ऐसा प्लान चुनना चाहिए जो आर्थिक दृष्टि से कठिन समय में सबसे अच्छी सुरक्षा देता हो। इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनी के क्लेम सेटलमेंट रेशियो पर भी ध्यान देना जरूरी है। आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी किस तरह के इलाज और किन-किन बीमारियों या स्वास्थ्य समस्याओं को कवर नहीं करेगी। एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय, हम अक्सर इंश्योरेंस डॉक्यूमेंट के फाइन प्रिंट को नजरअंदाज कर जाते हैं। हम इसके विभिन्न क्लॉज को समझने के लिए थोड़ा समय भी नहीं निकालते हैं जिससे बाद में हैरानी और परेशानी का सामना करना पड़ जाता है। पहले से मौजूद बीमारियां, सब-लिमिट, एक्सक्लूशंस ये सब एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के महत्वपूर्ण पहलू हैं जिन पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इंश्योरेंस रेगुलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पिछले साल उन बीमारियों की लिस्ट को अपडेट किया है जो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में स्थायी रूप से शामिल नहीं होती।
आईआरडीए के 17 पर्मानेंट एक्सक्लूशंस की स्टैण्डर्ड लिस्ट में मिर्गी, जन्म के समय से मौजूद हार्ट की बीमारी, सेरिब्रल स्ट्रोक, लम्बे समय से लीवर और किडनी की बीमारी, हेपेटाइटिस, अल्जाइमर रोग, पार्किन्संस रोग, एचआईवी और एड्स, सुनाई न देना और शारीरिक विकलांगता जैसी बीमारियां शामिल है। इसमें यह भी कहा गया है कि इंश्योरेंस कंपनियां, अल्जाइमर रोग, पार्किन्संस रोग, एड्स/ एचआईवी इन्फेक्शन, अस्वस्थ मोटापा जैसी बीमारियों के लिए कवर देने से इनकार नहीं कर सकती। यदि ये बीमारियां एक हेल्थ कवर खरीदने के बाद हुई हैं। इन पर्मानेंट बीमारियों के अलावा, उन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं और इलाजों की लिस्ट पर भी एक नजर डालना जरूरी है जिन्हें एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी द्वारा कवर नहीं किया जाएगा। सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियां, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी और यूनानी के तहत किए जाने वाले अल्टरनेटिव इलाज को कवर नहीं करती हैं और इसी तरह के अन्य इलाज जैसे मैग्नेटिक थेरेपी और एक्यूप्रेशर को भी कवर नहीं किया जा सकता है। लेकिन कुछ नई इंश्योरेंस कंपनियां, अल्टरनेटिव इलाज को भी कवर करने लगी हैं, जबकि इस तरह के कवरेज आम तौर पर बेसिक प्लान की तुलना में ज्यादा महंगे होते हैं। एक्सपेरिमेंटल या हाल ही में शुरू किए गए इलाज जैसे रोबोटिक सर्जरी को भी कवर नहीं किया जा सकता। मोटापा कम करने के लिए की जाने वाली सर्जरी या लिपोसक्शन, बोटॉक्स ट्रीटमेंट, कॉस्मेटिक सर्जरी या इस तरह की किसी अन्य सर्जरी को हेल्थ इंश्योरेंस द्वारा कवर नहीं किया जाता है। दांत के इलाज को भी कवर नहीं किया जाता है क्योंकि इन्हें कॉस्मेटिक माना जाता है। एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले मौजूद बीमारियां, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, इत्यादि को अधिकांश इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा तुरंत कवर नहीं किया जाता। हालांकि, इन्हें कुछ महीने से लेकर चार साल के एक वेटिंग पीरियड के बाद कवर किया जा सकता है। अलग-अलग बीमारी के आधार पर वेटिंग पीरियड अलग-अलग होता है और इसके नियम और शर्तें अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनी में अलग- अलग होती हैं। शराब या नशीले पदार्थों का सेवन करने से स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां पैदा हो सकती हैं इसलिए शराब या नशीले पदार्थों का सेवन करने के कारण पैदा होने वाली स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारियों को कवर नहीं किया जाता। लेकिन, इस आधार पर कवरेज देने से इनकार किए जाने पर आप इसके लिए हमेशा प्रतिवाद कर सकते हैं क्योंकि इंश्योरेंस कंपनी को इसका कारण बताना पड़ता है कि समस्या किसी हेल्थ कंडीशन की वजह से हुई है या शराब या नशीले पदार्थों का सेवन करने की वजह से। इसके अलावा आत्महत्या की कोशिश करने या जानबूझकर खुद को नुकसान पहुंचाने के कारण पैदा होने वाली स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को भी कवर नहीं किया जाता है।
सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में सिर्फ दुर्घटना के कारण पैदा होने वाली समस्याओं को छोडक़र, शुरू के 30 दिनों में कोई कवरेज नहीं मिलता है। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती होने से पहले यह जरूर देख लें कि डॉक्टर की फीस को रूम रेंट में शामिल किया जाता है या नहीं क्योंकि कुछ अस्पतालों में इसे अलग से चार्ज किया जाता है। एक मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी के सभी फायदे उठाने के लिए इसके नियमों और शर्तों को समझने के साथ-साथ इसके इन्क्लूशंस और एक्सक्लूशंस के बारे में भी जानना जरूरी है।