पंचकूला : स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के लाख प्रयासों के बावजूद राज्य में नशीली दवा कारोबार की जड़े गहरी होती जा रही हैं। दवा की दुकानों पर नशीली दवाएं अब भी धड़ल्ले से बिक रही है और कोई रिकॉर्ड भी नहीं होता। इस धंधें को रौनक मिल रही है विभागीय मिलीभगत से। फर्क आया है तो केवल इतना की नशीली दवाओं के रेट वास्तविक मूल्य से कई गुना बढ़ गए हैं। हैरान मत होइए, प्रदेश के हर जिले में कस्बा स्तर पर धंधा साफगोई की आड़ में चल रहा है। लेकिन अंकुश लगाने का दावा करने वाले अधिकारी चुप-चाप बैठे है, जिससे धंधे में संलिप्त दलालों की पौ-बारह हो रही है।
पूरे प्रदेश के दवा विक्रेताओं, माल उपलब्ध कराने वालों और औषधि नियंत्रण अधिकारी के बीच सेतु के रूप में काम करने वाले दलालों का जाल बिछा हुआ है। नशीली दवाओं पर अंकुश लगाने के नाम पर मोटी चांदी कूट रहे हैं। दवाओ की कीमत बढ़ गई है। सूत्रों की मानें तो दलाल बराबर अफसरों की सेवा करते रहते हैं, जिस कारण अफसर मौन रहते हैं। नशा बेचने और बिकवाने वालो ने तकनीक भी ऐसी इजाद की है कि जिस शहर में दुकान होती है उससे 60 से 100 किलोमीटर दूर, दूसरे शहरों से नशे की बानगी आती हैं। एक जिले से दूसरे जिले में दवा जाने से रिकॉर्ड रखने की जहमत खत्म हो जाती है। प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं जहां नशे के व्यापार ने व्यापक विस्तार कर लिया है और उनके मुनाफे का धंधा युवा पीढ़ी को गर्त में धकेल रहा है।
दावे तो यही किए जाते की नशीली दवा पर लगाम लगाने के लिए ठोस नीति बनाई है। उसके सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि हर जिले में 8 से 10 दवा की दुकानें ऐसी हैं जहां पर बेरोकटोक मुठ्ठी बंद करके हाथ बढ़ाओ और बंद मुठ्ठी में माल ले लो। पीछले 6 महीनों में मेडिकेयर मुख्यालय में इस गोरखधंधे और गठजोड़ से जुड़े पुख्ता सबूत एकत्रित किए हैं। कई जिलो में तो हालात यह पाए गए कि कॉलेज में पढऩे वाली लड़कियां और महिलाएं बेझिझक नशे की दवा लेती दिखीं। एक-दो से बिना परिचय दिए बात की तो, जवाब मिला, पैसे के आगे सब झुकते हैं, अधिकारियों की शह से ही तो सब चलता है।
* मेडिकेयर मुख्यालय ने महीनों की पड़ताल से इतने सबूत हासिल कर लिए जिससे स्वास्थ्य विभाग की नाक तले हो रहे नशीले कारोबार के सच का सामना आसानी से हो जाता है।
* प्रदेश के कई जिलों में इस धंधे से जुड़ा एक दलाल ऐसा मिला जो हर परिस्थिति में दवा दुकानदार और ड्रग अधिकारी के बीच कड़ी का काम करता है और ‘सेवाÓ का बराबर हिसाब रखता है।