पटना(बिहार)। पटना हाईकोर्ट ने राज्य में होम्योपैथिक दवा बनाने की इजाजत दे दी है। साथ ही फर्नीचर पॉलिश में स्पिरिट के इस्तेमाल से प्रतिबंध हटा लिया है। बता दें कि राज्य में शराबबंदी के बाद होम्योपैथिक दवा व अन्य निर्माण में भी स्पिरिट के इस्तेमाल को गैरकानूनी करार दे दिया गया था। चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन तथा जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने मेसर्स सम्राट लैबोरेट्रीज तथा अन्य की ओर से दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नए शराबबंदी कानून की उस व्यवस्था को समाप्त कर दिया है, जिसमें होम्योपैथिक दवा और फर्नीचर पॉलिश में इस्तेमाल होने वाले स्पिरिट/अल्कोहल को भी मादक पदार्थ घोषित किया गया था।
कोर्ट ने कहा कि शराब पर प्रतिबंध बना रहेगा। अधिवक्ता सत्यवीर भारती की दलील थी कि मादक पदार्थ की श्रेणी में होने के कारण ही होम्योपैथिक दवा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले स्पिरिट/अल्कोहल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया, जबकि मादक पदार्थ के रूप में इसका सेवन किया ही नहीं जा सकता है। उन्होंने कोर्ट से उन दो धारा 2 (40) की उपधारा सात-आठ को समाप्त करने का अनुरोध किया। इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट का कहना था कि होम्योपैथिक दवाओं के निर्माण को नए शराबबंदी कानून के तहत प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने श्री बैद्यनाथ आयुर्वेदिक भवन के मामले में पहले तय किया था कि राज्य में आयुर्वेदिक दवाओं का लाइसेंस ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट व अन्य केंद्रीय कानून के तहत दिया जाता है।
कोर्ट ने शराबबंदी कानून में ज्यादा हस्तक्षेप करने से इनकार किया। सिर्फ यही कहा कि राज्य में होम्योपैथिक दवाओं के निर्माण के लिए निर्गत लाइसेंस के नवीनीकरण में राज्य सरकार नए शराबबंदी कानून की आड़ में कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकती, अगर उन दवाओं का लाइसेंस ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट एवं मेडिकल एंड टॉयलेट प्रिपरेटरी एक्ट जैसे केंद्रीय कानून के तहत निर्गत किये गए हों। कोर्ट ने राज्य में डी नेचर्ड स्पिरिट के निर्माण के लिए लाइसेंस निर्गत करने के संबंध में भी यही आदेश दिया।