चंडीगढ़। चंडीगढ़ पीजीआई में 1.14 करोड़ के दवा घोटाले का भंडाफोड़ हुआ है। पीजीआई में प्राइवेट ग्रांट सेल में हुए इस घोटाले से पहले आयुष्मान और हिमकेयर जैसी सरकारी योजनाओं में भी फर्जीवाड़ा हो चुका है। इन घोटालों का मास्टरमाइंड भी आरोपी दुर्लभ कुमार ही था। वह पीजीआई की अमृत फार्मेसी से फर्जी मरीजों के रिकॉर्ड से मुफ्त में दवा लेता था। फिर उन्हें बाजार में 15-20 डिस्काउंट पर बेच देता था। यह फर्जीवाड़ा पीजीआई के डॉक्टरों की फर्जी मुहरें लगाकर किया जाता था।

फोटोकॉपी की दुकान चलाने वाले दुर्लभ और पीजीआई के छह कर्मचारियों पर सीबीआई ने तीन दिन पहले ही एफआईआर दर्ज की थी। इसी साल दुर्लभ को चंडीगढ़ पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भी गिरफ्तार किया था। उसे आयुष्मान भारत और हिमकेयर योजना के नाम पर हुए फर्जीवाड़ा में पकड़ा गया था। इस घोटाले में सरकारी मुफ्त दवाएं निकालकर उन्हें निजी मेडिकल दुकानों पर बेचा जाता था।

इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश फरवरी 2025 में तब हुआ, जब एक युवक आयुष्मान कार्ड पर अमृत फार्मेसी से करीब 60 हजार की दवाइयां लेने पहुंचा। फार्मेसी से मुफ्त दवाएं मिलने के बाद जब सुरक्षा कर्मियों को उस पर शक हुआ, तो उसकी तलाशी ली गई। युवक के पास से फर्जी मुहरें, इंडेंट फॉर्म और विभिन्न विभागों के दस्तावेज बरामद हुए। वह युवक कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश निवासी रमन कुमार था।

उसके खिलाफ पुलिस थाने में केस दर्ज किया गया था। पुलिस जांच में दुर्लभ कुमार का भी नाम सामने आया। जांच में पता चला कि यह एक बड़ा गिरोह था। इसका मास्टरमाइंड दुर्लभ कुमार, आयुष्मान कार्ड बनवाने वाले अजय कुमार और अमृत फार्मेसी से जुड़े कर्मचारियों की मदद से मरीजों का रिकॉर्ड हासिल करता था।