नई दिल्ली। आयुष्मान योजना से 1,114 अस्पतालों को बाहर कर दिया गया है। वहीं, 1,504 अस्पतालों पर जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई धोखाधड़ी करने के आरोप में की गई है। इस योजना को गरीब लोगों को मुफ्त इलाज देने के लिए शुरू किया गया था। पता चला है कि कुछ अस्पतालों ने ऐसे मरीजों का इलाज दिखाया जो कभी अस्पताल आए ही नहीं। कुछ मामलों में इलाज का खर्च जरूरत से ज्यादा दिखाया गया। सरकार को इस धोखे की जानकारी मिली तो तुरंत कड़ी कार्रवाई की।
यह है मामला
1,114 अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना से बाहर कर दिया गया। वहीं 1,504 अस्पतालों पर 122 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, 549 अस्पतालों को निलंबित कर दिया गया। इन अस्पतालों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी इलाज के नाम पर पैसे लेने की कोशिश की थी।
धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार ने नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट बनाई है। इसका काम योजना के तहत किसी भी गलत इस्तेमाल को पकडऩा है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना है। यह राज्य स्तरीय एंटी फ्रॉड यूनिट्स के साथ मिलकर काम करती है।
मरीजों के लिए शिकायत निवारण प्रणाली
मरीजों की सुविधा के लिए सरकार ने तीन स्तरों पर शिकायत निवारण प्रणाली बनाई है। जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अधिकारी नियुक्त किए हैं। ये मरीजों की शिकायतों को सुनते हैं। मरीज वेबसाइट, कॉल सेंटर, ईमेल या चि_ी के जरिए अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
अगर किसी अस्पताल ने मरीज का सही इलाज किया है, तो उसे सरकार से क्लेम का पैसा मिलता है। इसके लिए सरकार ने समयसीमा तय की है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि योजना में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसका सीधा लाभ उन लोगों को मिलेगा, जिनके लिए यह योजना बनाई गई है।