नई दिल्ली। जानलेवा कोरोना वायरस को लेकर भारत सतर्क हो गया है। देश में जरूरी दवाओं की उपलब्धता बरकरार रखने के लिए सरकार एंटीबायोटिक्स, विटामिन्स और हॉर्मोन सहित लगभग 12 दवाओं के निर्यात पर बैन लगाने का विचार कर रही है। गौरतलब है कि चीन के हुबेई प्रांत में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप है और यहीं से भारतीय दवा उद्योग 80-85 फीसदी कच्चा माल या एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडियंट (एपीआई) का आयात करता है।
हालांकि, फिलहाल देश में दवाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन हुबेई प्रांत को फरवरी के बाद भी बंद रखा गया तो परेशानी पैदा हो सकती है। देश में दवाओं की उपलब्धता का आकलन करने के लिए गठित आठ सदस्यों वाली एक्सपर्ट कमिटी ने क्लोरमफेनिकॉल, नियोमाइसिन, मेट्रोनिडाजोल, एजिथ्रोमाइसिन, क्लिंडामाइसिन, विटामिन बी1, बी2 तथा बी6 सहित 12 दवाओं के साथ प्रॉजेस्ट्रॉन हॉर्मोन के निर्यात पर बैन लगाने की सिफारिश की है। प्रोजेस्ट्रॉन का इस्तमेमाल गर्भावस्था तथा माहवारी से जुड़ी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। इसके अलावा, पैनल ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह राज्य सरकारों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने और जमाखोरी तथा किसी भी तरह की कृत्रिम कमी पैदा करने के खिलाफ कड़ी निगरानी करने को कहे। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि व्यापारी मौके का किसी तरह से फायदा नहीं उठाएं और एपीआई या मेडिसिन फॉम्र्यूलेशंस की कीमतों में इजाफा नहीं करें, यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारें कदम उठाएं।