पटना। बिहार के जाने-माने सर्जन डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह 18 साल पुराने एक मामले की वजह से सुर्खियों में आ गए है। डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह समेत तीन डॉक्टर अस्पताल से दवा और सरकारी मशीनों के गबन के मामले में दोषी करार दिए गए है। निगरानी ब्यूरो की जांच में 18 साल बाद इन्हें दोषी पाया और तीनों डॉक्टरों को नामजद अभियुक्त बनाते हुए एफआइआर दर्ज की गई है।

बताया गया है कि फुलवारीशरीफ स्थिति बीमा अस्पताल से दवा समेत अन्य सभी सरकारी जांच मशीनों के गबन से जुड़ा हुआ है। 18 साल पुराना ये मामला खबरों में आने के बाद कहीं पीछे छूट गया था। इस मामले की जांच की रफ्तार भी बेहद धीमी रही, जिसके कारण मामले का फैसला आने में 18 साल लग गए।

अब मामले में एफआइआर दर्ज करने के बाद इससे जुड़े मामलों की गहन जांच शुरू कर दी गयी है। इस मामले में आगे की कार्रवाई करने की तैयारी चल रही है। मिली जानकारी के अनुसार, तीनों आरोपी डॉक्टरों को सरकारी रुपये के गबन, भ्रष्टाचार, पद का दुरुपयोग समेत अन्य आरोपों में गिरफ्तारी भी हो सकती है।

डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह ने इस मामले और खुद पर हुई एफआइआर को लेकर अभी जानकारी ना होने की बात कही है। उनके मुताबिक, एफआइआर के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। अगर मामला सही है, तो मुझे फंसाने की साजिश हो रही है, क्योंकि इस केस में मैं निर्देश साबित हो चुका हूं। सिंह ने बताया कि इतने साल बाद मामले को उजागर कर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।