कोलकाता। एंटीबायोटिक मेडिसिन समेत 51 दवाइयां गुणवत्ता जांच में फेल पाई गई हैं। औषधि नियंत्रण बोर्ड की प्रयोगशाला में 51 दवा सैंपलों की जांच की गई थी, जिसमें उनकी गुणवत्ता अत्यंत खराब मिली है। इनमें एजिथ्रोमाइसिन जैसे जीवनरक्षक एंटीबायोटिक भी शामिल हैं।

इस एंटीबायोटिक दवा की निर्माता कंपनी एमएस स्काई क्योर सॉल्यूशंस है और इसकी फैक्टरी केरल के इद्दिकी में है। दूसरी ओर, गुजरात के अहमदाबाद में निर्मित एक महत्वपूर्ण प्रोबायोटिक भी नकली पाया गया है। 51 नकली दवाओं की सूची में सीने में जलन की दवा रैबेप्राजोल, विटामिन बी की गोलियां और तंत्रिका तंत्र की दवा अल्प्राजोलम शामिल हैं।

यह है मामला

राज्य औषधि नियंत्रक ने एक विशिष्ट बैच संख्या के साथ अधिसूचना जारी की है। राज्य के प्रत्येक खुदरा एवं थोक विक्रेता को इस दवा को बाजार से वापस लेने को कहा गया है। राज्य औषधि नियंत्रण बोर्ड ने प्रत्येक दवा दुकानदार को इन दवाओं की सूची बैच नंबर सहित प्रदर्शित करने को कहा है। पार्क सर्कस स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के प्रिंसिपल प्रो. डॉ जयदेव राय के अनुसार ऐसी दवा लेने से बीमारी ठीक नहीं होगी। इसका मतलब यह है कि यदि कोई व्यक्ति खराब गुणवत्ता वाली एंटीबायोटिक दवा लेता है, तो हानिकारक बैक्टीरिया नहीं मरेंगे। इसे खाने वाले व्यक्ति के शरीर में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया विकसित हो जायेगी।

बाद में एंटीबायोटिक्स उसके शरीर में काम नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि रोाजना मिलावटी दवाइयां मिल रही हैं। प्रशासन को चाहिए कि जिन कारखानों में इस प्रकार की दवाएं बनायी जा रही हैं, उन पर छापेमारी करे और उत्पादन बंद किया जाना चाहिए। वहीं, घटिया गुणवत्ता वाली दवाइयां बनाने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।