राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नए दिशा निर्देश को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे दक्षिण भारतीय राज्य विरोध में थे। नए दिशा निर्देश में कहा गया है कि नए मेडिकल कॉलेजों को उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में प्रत्येक 10 लाख आबादी के लिए 100 एमबीबीएस सीटों के अनुपात का पालन करना होगा। सिर्फ पांच दक्षिण भारतीय राज्य ही नहीं, बल्कि कुल नौ राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक नया मेडिकल कॉलेज शुरू करना या नई मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ाना मुश्किल होगा।
सूची में सभी पांच दक्षिण भारतीय राज्य, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, गोवा, चंडीगढ़, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और दादरा और नगर हवेली शामिल हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रति 10 लाख की आबादी पर मेडिकल सीटों की संख्या 100 से अधिक है। पुडुचेरी में यह 1,329 तक है। तेलंगाना में यह 224, कर्नाटक में 173 और तमिलनाडु में 151 है। उनमें से अधिकांश स्वस्थ डॉक्टर-रोगी अनुपात वाले राज्य भी हैं।
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स्पेक्ट्रम के दूसरी तरफ बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य हैं, जहां अनुपात काफी कम है, जिससे मेडिकल सीटें बढ़ाना संभव हो गया है। बिहार के कॉलेजों में एमबीबीएस की 2,665 सीटें हैं। हालांकि, राज्य की बड़ी आबादी के कारण, प्रत्येक 10 लाख लोगों के लिए, केवल 21 मेडिकल सीटें हैं। उत्तर प्रदेश में यह अनुपात प्रति 10 लाख लोगों पर 41 सीटों का है। इनमें से अधिकांश राज्यों में डॉक्टर-रोगी अनुपात भी ख़राब है।