नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में मात्र 29 फीसदी बच्चे जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कर पाते हंै, जबकि कई शोधों में यह बात सामने आ चुकी है कि पहले घंटे में स्तनपान करने वाले बच्चों में अन्य की अपेक्षा बीमारियों से लडऩे की क्षमता अधिक होती है। मां के दूध में ऐसा अमृत होता है, जो उन्हें संक्रमण से बचाता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि दिल्ली में तीन साल की उम्र वाले महज 298 बच्चे ही जन्म के बाद पहले घंटे में स्तनपान कर पाते हैं। हालांकि, पहले के मुकाबले थोड़ा सुधार जरूर हुआ है, लेकिन हालात अभी भी बेहतर नहीं हैं क्योंकि 71 फीसदी बच्चे जन्म के पहले घंटे में स्तनपान नहीं कर पा रहे हैं। ये आंकड़े लोगों में स्तनपान के पीछे जागरूकता की कमी को साफ दर्शा रहे हैं। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय की वार्षिक रिपोर्ट (वर्ष 2016-17) के आंकड़े इससे अलग हैं। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 26.42 फीसदी बच्चे ही जन्म के पहले घंटे में स्तनपान से वंचित रहे।

पिछले साल हुए एक समीक्षात्मक अध्ययन में कहा गया है कि जन्म के पहले घंटे में स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में दो से 23 घंटे के बीच स्तनपान करने वाले बच्चों में मृत्युदर की आशंका 33 फीसद ज्यादा रहती है। वहीं, एक दिन बाद स्तनपान करने वाले बच्चों में मृत्युदर की आशंका दोगुनी हो जाती है। एम्स व कई अस्पतालों द्वारा मिलकर किए गए एक अन्य शोध में कहा गया है कि पहले घंटे में स्तनपान करने से बच्चे कुशाग्र होते हैं। ऐसे बच्चों में रोग प्रतिरोधकता अधिक होती है, जबकि पहले घंटे में स्तनपान नहीं करने वाले बच्चों को संक्रमण, मोटापा इत्यादि होने की आशंका अधिक रहती है। डॉक्टर कहते हैं कि मां के दूध में क्लोस्ट्रम होता है, जो प्रसव के बाद पहले घंटे में ही बच्चों को मिल पाता है। इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधकता बढ़ती है और बच्चों को संक्रमण होने का खतरा कम होता है। आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के पीडियाटिक विभाग की कंसल्टेंट डॉक्टर मीना जे. का कहना है कि बच्चों के संपूर्ण विभाग के लिए स्तनपान जरूरी है। कृत्रिम दूध बच्चों की सेहत के अनुकूल नहीं होता। इससे बच्चों का शारीरिक विकास भी बाधित होता है।