नई दिल्ली। दुनियाभर के वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक पर काम कर रहे हैं। इसके जरिए न केवल भविष्य के मोबाइल व रोबोट तैयार किए जा रहे हैं, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में भी इनसे मदद ली जा रही है। इसी कड़ी में दवा बनाने वाली कंपनियां अब नए प्रयोग के लिए एआई की मदद ले रही हैं। इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए अमेरिका में वैज्ञानिकों ने एआई की मदद से ऐसा सिस्टम तैयार किया है जो जांच परख कर नई दवाओं की खोज करेगा।

वैज्ञानिकों ने बताया कि रिलीज यानी रिइनफोर्समेंट लर्निंग फॉर स्ट्रक्चरल इवोल्यूशन नाम का यह सिस्टम दो न्यूरल नेटवर्क पर आधारित है, जिसमें एक नेटवर्क टीचर और दूसरा स्टूडेंट है। टीचर में लगभग 17 लाख एक्टिव जैविक अणुओं से संबंधित सभी रासायनिक संरचनाओं की जानकारी फीड है और टीचर के साथ काम करके स्टूडेंट उन सभी संरचनाओं की जानकारी लेता है। इस तरह स्टूडेंट इन जानकारी के प्रयोग से नई दवाओं के निर्माण का कार्य करता है। अमेरिका के चैपल हिल स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के एलेक्जेंडर ट्रॉप्शा का कहना है कि यह प्रक्रिया अंग्रेजी के अल्फाबेट को सीखकर नए शब्दों का निर्माण करने की तरह है। दवाओं के लिए नए अणु के निर्माण के बाद टीचर उसकी जांच करता है। यदि नई संरचना सही है तो वह उसे सही करार देता है अन्यथा स्टूडेंट से और नए अणु के निर्माण के लिए कहता है। ट्रॉप्शा का कहना है कि रिलीज दवा कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण आविष्कार है।

ट्रॉप्शा के मुताबिक, अभी नई दवाओं को खोजने में बहुत समय और मेहनत खर्च होता है। इससे लागत बढ़ जाती है। इस नई एआई प्रणाली के जरिये समय और लागत की काफी बचत हो सकेगी। इसी के साथ उस दवा के प्रभाव की जांच भी तुरंत हो सकेगी। यदि वह दवा सुरक्षित नहीं होगी तो प्रणाली नई दवा खोजने पर ध्यान केंद्रित करेगी। अब तक फार्मास्युटिकल कंपनियां दवाओं के निर्माण के लिए रासायनिक लैब पर निर्भर रहती हैं। वहां पहले से ज्ञात रसायन पर ही प्रयोग संभव है। यानी जितने रासायनों की जानकारी है उन्हीं के संयोजन से नई दवाओं की तलाश की जाती है।