रोहतक । सोनीपत जिले के खानपुर कलां में स्थित ‘भगत फूल सिंह राजकीय महिला मेडीकल कालेज एवं अस्पताल’ में नियम कायदों की धज्जिया उड़ा कर धड़ाधड़ 350 से ज्यादा भर्तियां किये जाने का एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है । इन भर्तियों में तमाम नियम कायदों को ताक पर रख कर बड़ी संख्या में डाक्टर , स्टाफ नर्स, ड्राईवर व गैर शैक्षणिक कर्मचारी मनमाने तरीके से नियुक्ति किए गए और करोड़ों रूपये का गोलमाल किया गया ।
गौरतलब है कि भर्तियों का यह मामला वर्ष 2012 का है । उस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश के मुख्यमंत्री थे । तब इस महिला मेडीकल कॉलेज के निदेशक डा. आरसी सिवाच थे । सिवाच पर आरोप है कि उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिलीभगत करके निर्धारित मापदंड़ों की धज्जियां उड़ा डालीं और मनमाने तरीके से अपने पसंद के कर्मचारी भर्ती किये ।
पता चला है कि राज्य में बीजेपी की सरकार गठित होने के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बीपीएस राजकीय महिला मेडीकल कालेज में कांग्रेस राज में हुई भर्तियों की जांच कराने का आदेश दिया था । रोहतक स्थित हैल्थ यूनिवर्सिटी के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं चीफ विजीलैंस ऑफिसर डा. आरबी सिंह को इस मामले की जांच सोंपी गई । जब जांच अधिकारी डा. आरबी सिंह ने इस मामले की गहराई से तहकीकात की तो कई चौंकाने वाली गड़बड़ियां उजागर हुईं ।
विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति एवं हरियाणा के राज्यपाल के स्टैंडिंग ऑर्डर हैं कि पैरा मेडीकल स्टाफ की भर्तियों में उच्च स्तरीय कमेटी की देखरेख एवं मार्गदर्शन में ही भर्ती प्रक्रिया का पालन किया जाएगा । बीपीएस राजकीय महिला मेडीकल कॉलेज एवं अस्पताल के लिए स्टाफ की भर्ती हेतू सरकार ने चार सदस्यों की उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था । कमेटी में कॉलेज के निदेशक एवं प्राचार्य डा.आरसी सिवाच के अलावा हरियाणा मेडीकल शिक्षा एवं रिसर्च विभाग के निदेशक ( या उनका प्रतिनिधि) , हरियाणा स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के महानिदेशक (या निदेशक स्तर का उनका प्रतिनिधि) तथा मेडीकल कालेज के तत्कालीन सुपरींटैंडेंट प्रो. पूनिया को शामिल किया गया था ।
मजेदार तथ्य यह हैं कि हरियाणा मेडीकल शिक्षा एवं रिसर्च विभाग के निदेशक ने चंडीगढ़ मुख्यालय से अपने से बहुत निचले स्तर की मेडीकल ऑफिसर डा. मालती को अपना नॉमिनी बना कर भेज दिया , जबकि हरियाणा स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के निदेशक ने भी बहुत ही जूनियर अधिकारी डा. सुखबीर सिंह कोअपना नॉमिनी बना दिया । डा. सुखबीर जिला सोनीपत में सीएमओ के पद पर कार्यरत हैं ।
आरोप है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस महिला मेडीकल कालेज एवं अस्पताल के तत्कालीन निदेशक एवं प्राचार्य डा. आरबी सिवाच को भर्ती करने के लिए पूरी तरह फ्री हैंड दे दिया था और कह दिया था कि आप अपने हिसाब से भर्ती कर लो । कमेटी से बाद में जब चाहो चयन सूची पर हस्ताक्षर करा लेना ।
मजेदार तथ्य यह है कि मौजूदा निदेशक सरदार एपीएस बत्रा भी उस समय भर्ती प्रक्रिया में शामिल थे और भर्ती हेतू बनाई गई कोऑर्डीनेशन कमेटी के मैंबर थे और चयन सूची पर उन्होंने ही चयन कमेटी के सदस्यों से हस्ताक्षर कराए थे ।
जांच अधिकारी डा. आरबी सिंह को डा. एपीएस बत्रा ने बयान दिया है कि तत्कालीन निदेशक डा. आरसी सिवाच ने मुझे ऑर्डर दिया था कि चयनित उम्मीदवारों की सूचि पर कमेटी के सदस्यों से हस्ताक्षर करवा कर लाओ और उनके कहने पर ही उन्होंने सूची पर हस्ताक्षर कराए थे ।
उधर , सैलेक्शन कमेटी में नॉमिनी के तौर पर शामिल हुईं डा. मालती और महिला मेडीकल कॉलेज के सुपरींटैंडैंट प्रो. पूनिया ने जांच अधिकारी को लिखित बयान दिया है कि जो उम्मीदवार कमेटी ने छांटे थे , उनके नाम डा. आरसी सिवाच द्वारा तैयार कराई गई चयन सूचि से गायब थे और असफल उम्मीदवारों के नाम चयन सूचि में जबरन ठूंस लिए गये थे ।
दोनों सदस्यों का कहना है कि उन्होंने फर्जी चयन सूचि का कड़ा विरोध किया था और सूचि पर हस्ताक्षर करने से भी साफ मना कर दिया गया था , लेकिन हमें तत्कालीन मुख्यमंत्री का नाम लेकर डराया धमकाया गया और जबरदस्ती सूची पर हस्ताक्षर कराये गये ।
सबसे हैरानी की बात यह है कि सैलेक्शन कमेटी के कुल सात सदस्यों में से सिर्फ चार ने ही चयनित उम्मीदवारों की सूची पर हस्ताक्षर किये हैं जबकि तीन ने विरोध स्वरूप दस्तखत करने से साफ मना कर दिया , हालांकि वे चयन प्रक्रिया में शामिल थे ।
हैरत की बात यह है कि लिखित परीक्षा में सफल उम्मीदवारों का साक्षात्कार में पत्ता साफ कर दिया गया , जबकि लिखित परीक्षा में फिसड्डी रहे उम्मीदवारों को साक्षात्कार में पूरे अंकों से नवाज कर उन्हें चयन सूचि में टॉप पर ले आया गया ।
विजीलैंस अधिकारी डा. आरबी सिंह ने अपनी जांच में डा. सिवाच को दोषी करार दिया है और सरकार से उनके खिलाफ सख्त कानूनी एक्शन लेने की सिफारिश की है । साथ ही उन्होंने राज्य सरकार से इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की संस्तुति भी की है ।
सूत्रों से पता चला है कि खानपुर महिला मेडीकल कॉलेज से भर्ती से संबंधित एक महत्वपूर्ण फाइल एकाएक गायब हो गई है और उसका कोई अतापता नहीं चल रहा । कॉलेज के प्रशानिक अधिकारी बलवान सिंह ने लिखित बयान दिया है कि उक्त फाइल तत्कालीन निदेशक डा. आरसी सिवाच के पास थी और उन्होंने अभी तक फाइल कार्यालय में वापिस जमा नहीं की है ।
इसी बीच पता चला है कि जांच अधिकारी ने काफी पहले ही अपनी रिपोर्ट राज्य के स्वास्थय मंत्री अनिल विज को सौंप दी थी । अनिल विज ने जांच रिपोर्ट को अपनी संस्तुति के साथ एक्शन के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पास भिजवा दिया था । मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के दफ्तर में पहुंचने के बाद जांच रिपोर्ट नदारद हो गई है । पता चला है कि मुख्यमंत्री के समक्ष अभी तक यह रिपोर्ट रखी ही नहीं गई है और उनके संज्ञान में अभी तक यह रिपोर्ट नहीं लाई गई है । जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत एक ओएसडी भूपेंद्र सिंह डा. आरसी सिवाच का निकट रिश्तेदार है , जिसने जांच रिपोर्ट को गायब कर दिया है ।
उधर, मालूम हुआ है कि हरियाणा के लोकायुक्त के दफ्तर में भी इस घोटाले की शिकायत पहुंच गई है और लोकायुक्त कार्यालय ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है ? देखना यह है कि मनोहर लाल खट्टर सरकार पिछली सरकार के कार्यकाल में हुए इस भर्ती घोटाले में दोषियों के खिलाफ कोई एक्शन लेगी या इसे ठंडे बस्ते में डाल कर चैन की बंसी बजाएगी । बहरहाल , यह तय है कि यदि इस मामले की गहराई से निष्पक्ष जांच हुई तो इस घोटाले की आंच पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तक भी पहुंचेगी ।
*सर्वदमन सांगवान@9812024027
*साभार – गरिमा टाइम्स