अम्बाला। दवा व्यवसायियों के राष्ट्रीय संस्था ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन आफ केमिस्ट एंड ड्रजिस्ट द्वारा ऑनलाइन फार्मेसी के विरोध में एक दिवसीय भारत बंद का देशभर में मिला-जुला असर देखने को मिला। एआईओसीडी ने भारत बंद के लिए तमाम दवा व्यापारियों का आह्वान किया था, जिसे लेकर इस की अग्रिम जानकारी तथा सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के बाद समय-समय पर केंद्रीय सरकार को अपने व्यापार को बचाने के लिए तथा युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ ना हो इसके मद्देनजर समय-समय पर स्वयं मिलकर ईमेल व पत्रों के माध्यम से मांग की गई।
ऑनलाइन फार्मेसी को जनहित में दवाओं के व्यापार से दूर रखा जाए परंतु सरकार दवा विक्रेताओं के राष्ट्रीय संगठन जिस के करीब 8:30 लाख सदस्य हैं तथा एक एक व्यापारिक स्थल पर 4 से 5 परिवारों का भरण पोषण का कार्य होता है की एक नहीं सुनी अंतरराष्ट्रीय संगठन को सभी राज्यों से मशवरा करने के पश्चात एक दिवसीय हड़ताल का निर्णय लेना पड़ा क्योंकि दवा विक्रेता नहीं चाहते थे कि इसके लिए सिविल अस्पतालों के निकट एक दवा की दुकान तथा नर्सिंग होम के अंदर अस्तित्व में दवा की दुकान को बंद से दूर रखा गया जिसके चलते देश भर से किसी भी अप्रिय घटना की जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई तथा दवा विक्रेताओं ने हड़ताल में पूर्ण रूप से भाग लिया तथा सरकार को राष्ट्रीय संगठन के पदाधिकारियों जेएस शिंदे, राजीव सिंघल, संदीप नांगिया सुरेंद्र दुग्गल के नेतृत्व में 28 सितंबर को जहां जंतर-मंतर पर सवेरे 11 बजे से शाम 4 बजे तक धरना प्रदर्शन किया गया। वहीं, पीएमओ ने पुलिस के माध्यम से इन पदाधिकारियों को अपने कार्यालय बुला उनका ज्ञापन लेते हुए आश्वस्त किया कि शीघ्र ही ऑनलाइन फार्मेसी के बारे पुन विचार किया जाएगा तथा निर्णय लेने से पूर्व संगठन को बुला उनकी राय अवश्य ली जाएगी ताकि युवा वर्ग राह ना भटके। किसी भी राज्य में भले ही उनके राष्ट्रीय संगठन या राज्य संगठन के साथ मतभेद हो इस बंद में बढ़ चढक़र भाग लिया ताकि सरकार उनके व्यवसाय को बचाने हेतु कोई सार्थक कदम उठाए परंतु कुछ मौकापरस्त दवा व्यवसायियों ने स्वयं को राष्ट्रीय संगठन का भाग तो बताया परंतु बंद में भाग नहीं लिया।
जब इस बारे उन पदाधिकारियों से बात की कि आप स्वयं को ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन आफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट का मान्यता प्राप्त कहते हो तो बंद में भाग क्यों नहीं लिया, इस बारे में मेडिकल न्यूज़ संवाददाता को कोई भी जवाब देने से कतराते रहे।
कुछ भी हो, देशभर में दवा व्यवसायियों ने अपनी एकजुटता का प्रमाण सरकार के सामने दे ही दिया और राष्ट्रीय संगठन की बात सुनने के लिए सरकार को चेता दिया कि संगठन की ताकत बहुत बढिय़ा है। यदि अभी भी सरकार ने दवा व्यवसायियों के हित में कोई सार्थक निर्णय नहीं लिया तो राष्ट्रीय कार्यालय कभी भी अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए घोषणा कर सकता है जिसके दुष्परिणामों के लिए केंद्र सरकार जिम्मेवार होगी ।
राष्ट्रीय कार्यालय ने देशभर के दवा व्यवसायियों कस्बा जिला राज्य संगठन के पदाधिकारियों को इस बंद में एकता का प्रदर्शन करने के लिए धन्यवाद करते हुए कहा कि संगठन किसी एक व्यक्ति से नहीं, संगठन सब की ताकत के दम पर ही कार्य करता है। आगे भी एकजुटता बनाए रखें ताकि किसी भी कठोर निर्णय को लेने के लिए संगठन दवा व्यवसायियों के व्यापारिक सुरक्षा हेतु कोई भी निर्णय ले और सरकार को दवा व्यवसायियों के हित में अपने फैसले बदलने पड़े।