स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. कमला सिंह को क्यों लेना पड़ा बेटी बचाओ अभियान को कमजोर करने वाला निर्णय!

पंचकूला: बेटी बचाओ अभियान के अग्रणी राज्यों में शामिल हरियाणा के स्वास्थ्य महानिदेशक पद पर विराजमान रहीं डॉ. कमला सिंह ने महिला होते हुए बेटी बचाने की सरकारी मुहिम को कमजोर करने का काम किया है। इसलिए पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने उन्हें चार्जशीट थमाई है।
जानकारी के मुताबिक, करनाल जिले में पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई में पीएनडीटी एक्ट के तहत जब्त की गई अल्ट्रासाउंड मशीन को डॉ. कमला सिंह ने स्टेट एप्रोप्रिएट अथॉरिटी में फैसला लेते हुए रिलीज कर दिया। जबकि नियमों के मुताबिक, एक्ट में जब्त सामान तब तक केस प्रॉपर्टी के रूप में रहता है, जब तक न्यायालय से मुकदमे में फैसला नहीं हो जाता। डॉ. कमला सिंह के साथ एलआर हेमराज वर्मा को भी चार्जशीट किया गया है।
हैरानी की बात ये कि हरियाण से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ अभियान को मजबूत करने का संदेश दिया था। राज्य के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने संकल्प लिया था कि गर्भ में पल रही बेटियों की सुरक्षा के लिए वह किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेंगे। अधिकारी बड़ा हो या छोटा कर्मचारी, अभियान में किसी ने भी “सुराख” करने की कोशिश की तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे में जब डॉ. कमला सिंह ने स्वास्थ्य महानिदेशक जैसे जिम्मेदार पद पर होते हुए भु्रण हत्या रोकने वाले पीएनडीटी एक्ट में जब्त अल्ट्रासाउंड मशीन को मनमाने तरीके से छोड़ा (जैसा कि आरोप है) तो मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री क्यों कार्रवाई से चूक गए। सरकार कार्रवाई में तत्परता दिखाती तो न्यायालय को चार्जशीट देने की नौबत न आती।
बेटी बचाओ मुहिम में जुड़े  गैर सरकारी संगठन प्रतिनिधियों का कहना है कि राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच के कारण कई बार गुनहगार सबूत होने के बावजूद उनका मुंह चिढ़ा जाते हैं। गौर करने वाली बात ये भी कि बेटी बचाने का संकल्प लेकर जब भाजपा ने सत्ता का पहला साल पूरा किया तो, मुख्यमंत्री मनोहरलाल और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज गर्व के साथ बेटियों के बीच यह नारा लेकर आए थे,  ‘इबै एकै साल, कथनी करनी एकै डाल”। लेकिन डॉ. कमला सिंह का निर्णय सरकार की कथनी और करनी पर सवाल उठा गया।