नई दिल्ली। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने जिस एसपीवाईएम नामक एनजीओ को नशा छुड़वाने की जिम्मेदारी दी, उसके ही कर्मचारी ड्रग्स का धंधा करने लगे। आरोप है कि सरकार से मुफ्त में मिलने वाली नशे की गोलियों को वह ड्रग्स का कारोबार करने वालों को बेचने लगे।
क्राइम ब्रांच ने एनजीओ के दो कर्मचारियों फ्रेंकलिन और मनीष को गिरफ्तार कर उनके पास से ड्रग्स की 3800 गोलियां बरामद की हैं। अतिरिक्त आयुक्त एके सिंगला ने बताया कि क्राइम ब्रांच में तैनात एसआई विमल दत्त को सूचना मिली थी कि एसपीवाईएम नामक गैर सरकारी संस्था नशा छुड़ाने का काम करती है। वसंत कुंज के किशनगढ़ स्थित इसके नशा मुक्ति केंद्र के कर्मचारी सरकार से मिलने वाली नशे की दवा को अवैध तरीके से ड्रग्स तस्करों को बेचते हैं। यह दवा नशे के मरीजों के उपचार के लिए होती है, जिसे वह बाहर बेच देते हैं। मुखबिर ने पुलिस को बताया कि फ्रेंकलिन नामक कर्मचारी नशे की यह खेप देने के लिए वसंत कुंज के सीएनजी स्टेशन के पास आएगा। इस जानकारी पर डीसीपी भीष्म सिंह की देखरेख में एसीपी आदित्य गौतम और इंस्पेक्टर सुनील जैन की टीम ने छापा मारकर फ्रेंकलिन को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार आरोपी की तलाशी में उसके पास से नशे की 3800 गोलियां बरामद हुईं। मामले की छानबीन के दौरान पुलिस ने उसके सहयोगी मनीष को भी गिरफ्तार कर लिया। ड्रग्स बेचने वाले लोगों को वह एनजीओ में मौजूद नशे की एक गोली को 200 रुपये में बेच देते थे। इस तरह से अब तक वह लाखों रुपये की दवा को ड्रग्स के रूप में बेच चुके थे।