बेंगलूरु। डेनमार्क की दवा कंपनी लुंडबेक ने अवसाद रोधी दवा ब्रिटेलिक्स को भारतीय बाजार में उतारा है। इसके लिए भारतीय औषधि महानिदेशक ने मंजूरी दे दी है। यह भारत में अवसाद के इलाज के लिए बिकने वाली पहली दवा होगी, जिसका पेटेंट कराया गया है। गौरतलब है कि लुंडबेक 2.8 अरब डॉलर वाली वैश्विक कंपनी है और यह पार्किंसंस जैसी बीमारी के इलाज में काम आने वाली अंतरराष्ट्रीय दवा (जिसका पेटेंट कराया जा चुका है) भारत में उतारने की योजना बना रही है। यह दवा 5 मिलीग्राम, 10 मिलीग्राम और 15 मिलीग्राम के पैक में उपलब्ध होगी, जिसकी कीमत क्रमश: 45, 74 और 120 रुपए प्रति टेबलेट है। भारतीय बाजार के लिए इसे डेनमार्क के संयंत्र से आयात किया जाएगा। मूल कंपनी के राजस्व में 2018 की पहली छमाही में 9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई और यह 9,288 क्रोन हो गया, जो 2017 की पहली छमाही में 8,494 क्रोन रहा था। लुंडबेक इंडिया के कंट्री मैनेजर मनिंदर सिंह साहनी ने कहा कि भारत में अवसाद रोधी दवा का बाजार 12.5 अरब रुपये का अनुमानित है। अवसाद का सामना कर रहे वैश्विक मरीजों का करीब 18 फीसदी भारत में होने का अनुमान है। इस तरह से बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी अपनी दवा के जरिए देसी बाजार में मजबूती के साथ अपनी पैठ बनाने की उम्मीद कर रही है।
 हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में लुंडबेक को बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने में मुश्किल होगी क्योंकि भारत में इसकी मौजूदगी कमजोर है और भारत में इसके करीब 70 मेडिकल रीप्रेजेंटेटिव हैं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के दवा विश्लेषक ए चाल्के के अनुसार जीवनशैली में बदलाव के चलते हृदय, मधुमेह और सीएनएस से जुड़ी विभिन्न बीमारियां भारत में बढ़ रही हैं। इन दवाओं का बाजार साल दर साल दो अंकों में बढ़ोतरी दर्ज कर रहा है। लुंडबेक को देसी बाजार में मजबूती के साथ पैठ बनाने में मुश्किल होगी क्योंकि भारत में अपने उत्पादों के विपणन के लिए इसे 500 से ज्यादा मेडिकल रीप्रेजेंटेटिव की दरकार होगी।