नई दिल्ली। नशीले पदार्थ के रूप में प्रसिद्ध भांग से अब सस्ती दवाइयों का निर्माण किया जाएगा। ये दवा कैंसर व सिकेल सेल एनीमिया जैसे गंभीर रोगों में असहनीय दर्द से राहत दिलाने का काम करेगी। यह बात जम्मू स्थित काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर)- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आइआइआइएम) और एक दवा कंपनी द्वारा संयुक्त रूप से तैयार सम्मेलन में सामने आई।
सम्मेलन में एम्स सहित कई संस्थानों और विभागों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। विशेषज्ञों ने भांग से दवा बनाने के लिए कानून को थोड़ा उदार बनाने की मांग की ताकि दवा बनाने का रास्ता साफ हो सके। इस अवसर पर सीएसआइआर-आइआइआइएम के निदेशक डॉ. राम विश्वकर्मा ने कहा कि भांग से आनुवांशिक बीमारी सिकेल सेल एनीमिया के इलाज के लिए भी दवा विकसित की जाएगी। देश में दो करोड़ लोग इससे पीडि़त हैं। इसमें मरीजों को गंभीर दर्द से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा दिल्ली एम्स के साथ मिलकर मिर्गी की दवा विकसित की जाएगी। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने भी शोध की स्वीकृति दे दी है, पर वह दवाएं महंगी हैं। कांफ्रेंस के दौरान एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की डॉक्टर मंजरी त्रिपाठी ने कहा कि मेडिकेटेड भांग का इस्तेमाल मिर्गी की दवा बनाने के लिए किया जा सकता है। इससे छोटे बच्चों को पडऩे वाले मिर्गी के दौरों से निजात मिल सकती है। उन्होंने कहा कि इस पर कई स्टडी पहले भी हो चुकी है और यह साबित हो चुका है कि भांग में मिलने वाले मेडिकल गुण मिर्गी के दौरे को भी कम कर सकता है। एम्स में कीमोथेरेपी से गुजर रहे कैंसर मरीजों को भांग की पत्तियों से बनी दवा दी जाएगी। इसमें यह देखा जाएगा कि यह दवा कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट को कितना कम करती है।
प्रधानमंत्री कार्यालय व परमाणु ऊर्जा विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सम्मेलन में कहा कि देश में 70 फीसद लोगों की उम्र 40 वर्ष से कम है। बुढ़ापे में होने वाली बीमारियां कम उम्र में हो रही हैं। इसमें कैंसर, मधुमेह टाइप-2 आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि चुनौतियों से निपटने के लिए इस तरह के शोध जरूरी हैं लेकिन उसका दुरुपयोग रोकने और दुष्प्रभाव का भी ख्याल रखा जाना चाहिए। क्योंकि कई दवाएं नशे के रूप में इस्तेमाल हो रही हैं।