नई दिल्ली। दिल्ली में हजारों की संख्या में अवैध तरीके से चल रही पैथोलॉजी लैब्स को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेट्री हेल्थ को तलब करके 17 दिसंबर को पेश होने के आदेश दिए है और पूछा है कि दिल्ली सरकार ने अब तक ऐसी पैथोलॉजिकल लैब्स को बंद करने के लिए कोई कार्यवाही क्यों नहीं की।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन क्यों नहीं कर रही है जो पैथोलॉजिकल लैब को चलाने के लिए जरूरी है। दिल्ली में फिलहाल 132 लैब्स ही ऐसी है जिनको चलाने की कानूनी अनुमति पैथोलॉजी लैब संचालकों के पास है, लेकिन हजारों की संख्या में दिल्ली में अवैध पैथोलॉजिकल लैब धड़ल्ले से चल रही हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर हमारे आदेशों का पालन अभी तक क्यों नहीं किया गया? इस तरह से अवैध चल रही पैथोलॉजी लैब पर छापा डालकर उन लोगों को चिन्हित क्यों नहीं किया किया जो नियमों-कानूनों को ताक पर रखकर ना सिर्फ आम लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं, बल्कि गैर कानूनी तरीके से पैथोलॉजी भी चला रहे हैं।
कोर्ट इस बात से नाराज था कि जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली सरकार ने सिर्फ एक पब्लिक नोटिस जारी कर दो अखबारों में उसका विज्ञापन दे दिया, लेकिन इस तरह की पैथोलॉजी लैब्स पर लगाम लगाने के लिए किसी अधिकारी ने पैथोलॉजी लैब्स तक जाने की जरूरत नहीं समझी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से 2010 में क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट यूनियन टेरिटरीज के लिए लागू कर दिया गया था। कई राज्यों में सरकारों ने इसे लागू कर लिया है, लेकिन राजधानी दिल्ली में दिल्ली सरकार इसे लागू करने के बजाय एक नया बिल लागू करना चाहती है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि सरकार इस बिल को कब तक लागू कर पाएगी और अवैध चल रही हजारों हजार पैथोलॉजी लैब्स पर लगाम लगाने के लिए इस नए कानून में कितनी सख्ती बरती जाएगी।