रायपुर (छ.ग.) । राज्य में नशीली दवाओं की बिक्री के खिलाफ  खाद्य एवं औषधि प्रशासन जल्द ही शिकंजा कसेगा। विभागीय सूत्रों की मानें तो राज्य में पिछले कुछ दिनों से नशे का कारोबार बड़ी तेजी से फलफूल रहा है। प्रशासन के आला अधिकारी भी कई मौकों पर इसे स्वीकार कर चुके हैं। वहीं, कुछ मामलों में इस धंधे में संलग्न लोगों को पकडक़र उनके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की गई है। उम्मीद है कि राज्य में नई सरकार बनने के बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मुखिया कंट्रोलर बनें बी.सर्वेश्वर नागेन्द्र के नेतृत्व में नशीली दवाओं के विक्रेताओं पर आने वाले दिनों में और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजधानी में ही मनोविकार, नींद ना आने व तनाव जैसी बीमारियों के लिए कारगर दवाएं मरीजों को भले ही ना मिलें, लेकिन नशाखोरों तक जरूर पहुंच रही हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के दिशा- निर्देशों की वजह से असल मरीजों को उपरोक्त उल्लेखित बीमारियों की दवाओं को खरीदने के लिए अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ती है। लेकिन नशा करने वालों को ये सारी दवाएं आसानी से मिल जाती हैं। वे इन दवाओं का इस्तेमाल सस्ते नशे के रूप में करते हैं। प्राय: यह देखने में भी आया है कि किसी घटना या वारदात को अंजाम देने के पूर्व अपराधी दवाओं का उपयोग नशे के रूप में करने लगे हैं। नशा करने वालों में नाबालिगों की संख्या में इजाफा भी चौकाने वाला है।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन नशीली दवाओं की आपूर्ति करने वाले दवा विक्रेताओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं कर पाता है। इस वजह से राज्य में ऐसे तमाम दवा विक्रेता जिनके खिलाफ  नशीली दवाओं की आपूर्ति व बिक्री में संलिप्तता की शिकायतें हैं, उन जिलों में औषधि प्रशासन द्वारा निगरानी रखी जा रही है व कुछ मामलों में कार्रवाई के पूर्व अच्छी तरह से जांच भी जारी है।