मुंबई। हैदराबाद की प्रमुख औषधि कंपनी अरबिंदो फार्मास्युटिकल्स ने बायोसिमिलर एवं इंजेक्टेबल दवा बाजार में काफी देरी से कदम रखा था। लेकिन अब उसे इसका फायदा मिलने लगा है। कंपनी ने अपनी पहली बायोसिमिलर दवा के लिए मंजूरी 12 से 18 महीने में मिलने की उम्मीद जताई है और वह अमेरिका में अपने इंजेक्टेबल कारोबार के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। कंपनी के कुल राजस्व में अमेरिकी बाजार का योगदान करीब 47 फीसदी है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अरबिंदो फार्मास्युटिकल्स की इंजेक्टेबल इकाई ऑरोमेडिक्स का कारोबार पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 8 फीसदी बढक़र 5 करोड़ डॉलर हो गया। कंपनी ने 30 सितंबर तक 104 इंजेक्टेबल एब्रिविएटेड न्यू ड्रग ऐप्लिकेशन (एएनडीए) जमा कराया है। इसमें से 53 एएनडीए के लिए उसे अंतिम मंजूरी और 1 के लिए तात्कालिक मंजूरी मिल चुकी है। जबकि ऊंचे आधार के कारण दूसरी तिमाही के दौरान अरबिंदो यूएसए के राजस्व में 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अरबिंदो यूएसए अमेरिका में ओरल फॉर्मूलेशन बनाने वाली इकाई है। पिछले दिनों अरबिंदो फार्मा को एक एनेस्थेटिक इंजेक्शन के लिए अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएफडीए की मंजूरी मिली है। इस दवा का कुल करीब 1.1 करोड़ डॉलर का बाजार है और कंपनी वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही तक इसे बाजार में उतार सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि यह इंजेक्टेबल बाजार की नई कंपनी है और उसे सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज एवं माइलन जैसी प्रमुख प्रतिस्पर्धियों तक पहुंचने के लिए अभी लंबा सफर तय करना बाकी है। एडलवाइस के विश्लेषक दीपक मलिक ने कहा कि अरबिंदो अमेरिका में स्पष्ट तौर पर अपने इंजेक्टेबल कारोबार का विस्तार करना चाहती है। कंपनी ने अपनी पहली इंजेक्टेबल दवा पेनेम को वित्त वर्ष 2018 में अमेरिका में उतारा और वह अमेरिका एवं यूरोप में एक अन्य दवा को उतारने की प्रक्रिया में है। कंपनी ने सोमैटुलाइन-डिपो और सैंडोस्टेटिन-एलएआर (पेट में गांठ से संबंधित इंजेक्टेबल) के लिए आवेदन किया है। इसके अलावा उसने एम्फोटेरिसिन लिप्सोमल इंजेक्शन (फंगलरोधी) के लिए क्लीनिकल परीक्षण शुरू किया है। दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे जारी करने के बाद विश्लेषकों से बातचीत में अरबिंदो फार्मा के प्रबंध निदेशक एन गोविंदराजन ने कहा कि जहां तक डिपो इंजेक्शन का सवाल है तो उसके लिए कंपनी अगले साल के मध्य अथवा अंत तक आवेदन कर सकती है। मलिक ने कहा कि जहां तक डिपो इंजेक्शन का सवाल है तो हमें अभी थोड़ा इंतजार करना चाहिए क्योंकि अंतिम अध्ययन पूरा होने में थोड़ा वक्त लगेगा। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि अगले साल की दूसरी छमाही तक उसके लिए आवेदन किया जाएगा और मंजूरी के लिए आपको 18 महीने तक इंतजार करना पड़ेगा। डिपो इंजेक्शन में पहली दवा काफी महत्त्वपपूर्ण होगी क्योंकि यह रिजीज प्रोफाइल को स्थापित करेगी। उसके बाद हर साल एक दवा  के लिए आवेदन किया जाएगा। कंपनी अपनी क्षमता विस्तार भी कर रही है। हाल में उसने तेलंगाना में एक बीटालैक्टम इंजेक्टेबल संयंत्र का परिचालन शुरू किया है। वहां से अमेरिका, यूरोप और उभरते बाजारों को निर्यात किया जाएगा।