बिलासपुर (छग)। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने बच्चों की सर्दी-खांसी की दवा में आठ रुपए अधिक वसूली का मामला पकड़ा है। सरकार ने पैरासीटामॉल पीडियाट्रिक ओरल सस्पेंशन आईपी की इस मेडिसिन को चार महीने पहले मूल्य से आठ रुपए कम किया है, लेकिन मेडिकल एजेंसी और दूसरे लोग इसे पुराने रेट में ही बेच रहे हैं। यही वजह है कि करीब 20 मेडिकल स्टोर को नोटिस जारी कर दवा के सारे लॉट वापस करने के निर्देश दिए गए हैं। ड्रग इंस्पेक्टर का कहना है कि इसके लिए फर्म और कंपनी को भी नोटिस जारी किया जाएगा। यह गड़बड़ी पूरे छत्तीसगढ़ में चल रही है। रायपुर के मुख्यालय से यहां के इंस्पेक्टरों को इस बात की सूचना दी गई कि बिलासपुर में भी कई जगहों से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं। दिल्ली की एनपीपीए ने दवा के दाम 33 रुपए की जगह 26 रुपए कर दिए हंै। फिर भी फर्म और मेडिकल एजेंसी के संचालक एवं होलसेलर आम पब्लिक से इसके ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं। इसी बात की जांच करने के लिए असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर राजेश क्षत्रिय ने इंस्पेक्टर सोनम जैन सहित अन्य कर्मचारियों को नियुक्त किया। इन्होंने तेलीपारा स्थित कई मेडिकल एजेंसियों का निरीक्षण किया। शिकायत सही मिली। गंभीर बात यह कि इसकी सप्लाई रायपुर स्थित एक फार्मा से हुई है। बैच को देखने से पता लग रहा है कि सरकारी नियमों का पालन नहीं किया है। इसके कारण ड्रग विभाग इन्हें नोटिस भेजने की तैयारी में लगा है। स्थानीय स्तर पर सभी मेडिकल एजेंसी को नोटिस भेजा गया है। अस्पतालों में दुर्घटना के बाद इस्तेमाल होने वाली इन्फेक्शन की दवा मेरोपेनम को भी दस गुना अधिक दाम बेचने की शिकायत हुई थी। विभाग ने जांच के बाद पाया कि इसका रेट कोई 300 रुपए के आसपास है। जबकि बिक्री 3000 रुपए में चल रही है। तब हिमाचल की कंपनी को नोटिस जारी कर इसके बारे में पूछताछ की गई। अभी इस कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ड्रग विभाग का कहना है कि यहां से उन्होंने सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।