चंडीगढ़/ पंचकूला: पीएनडीटी एक्ट यानी भु्रण हत्या कानून में आरोपी झज्जर के डॉ. कमल राज गोरियान को हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री और सहकारिता मंत्री द्वारा सरकार की किरकिरी करवाते हुए जबरन बड़ी राहत पहुंचाने का मामला सामने आया है। करीब तीन साल पूर्व रोहतक और झज्जर के स्वास्थ्य विभाग टीम की साझा कार्रवाई में हत्थे चढ़े डॉ. गोरियान को तमाम राजनीतिक और अधिकारिक दबावों के बावजूद सबक सिखाने के लिए डटे रहने वाले सिविल सर्जन डॉ. रमेश धनखड़ को सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर की टेलीफोनिक शिकायत पर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सस्पेंड कर दिया। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ अभियान को मूर्त रूप देने के लिए डॉ. धनखड़ को पानीपत में सम्मानित भी कर चुके हैं। अब यह तो पता नहीं कि षड्यंत्र जैसी दिखने वाली इस कार्रवाई के पीछे दोनों मंत्रियों की मंशा क्या रही लेकिन मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने पलीता लगने से पहले ही 24 घंटे के भीतर डॉ. धनखड़ को बहाल करवा दिया। दोनों मंत्रियों ने यह जानते हुए भी कि बेटी बचाओ अभियान में पीएनडीटी एक्ट कानून के तहत होने वाली कार्रवाई पर फैसले लेने के अधिकार मुख्यमंत्री के पास सुरक्षित हैं, फिर भी पॉवर दिखाने के चक्कर में सीमएओ के निलंबन आदेश जारी कर दिए। निलंबन की भनक लगते ही अभियान में नियुक्त उच्च अधिकारियों ने तत्काल मुख्यमंत्री के संज्ञान में सच्चाई लाई और रातों-रात सस्पेंसन ऑर्डर रद्द करवा दिए।
उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, 2014 में डॉ. गोरियान के अल्ट्रासाउंड सेंटर सील करने वाले सीएमओ डॉ. रमेश धनखड़ कुछ समय बाद गुरुग्राम बदली हो गए थे। बाद में डॉ. श्रीराम सिवाच ने झज्जर का चार्ज लिया। डॉ. गोरियान ने डॉ. सिवाच से सेटिंग कर डिस्ट्रिक अटॉर्नी जरनल की मदद से अल्ट्रासाउंड सेंटर की सील खुलवा ली। मामला कोर्ट में होने के चलते डिस्ट्रिक अटॉर्नी को सील खुलवाने पर सस्पेंड कर दिया। अब पुन: डॉ. धनखड़ सीएमओ बनकर झज्जर नियुक्त हुए। पता चला है कि मंत्री मनीष ग्रोवर ने डॉ. गोरियान के फेवर में कार्रवाई के लिए सिफारिश कर दी, लेकिन डॉ. धनखड़ ने मंत्री की अनैतिक सिफारिश से बचते हुए न्यायालय का पालन किया और ‘ऑर्डर रिनुअल रीफ्यूज’ कर दिए। दाल नहीं गली तो गुस्से में ग्रोवर ने डॉ. धनखड़ पर दुव्र्यव्हार का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री को शिकायत कर दी। मंत्रालय से बाहर जाकर मनीष ग्रोवर द्वारा सिफारिश करने के पीछे रोहतक शहर के किसी दवा धंधे से जुड़े चहेते को खुश करने की भी खबर है।
सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का अपना हित भी था। वह बेटी बचाओ अभियान पर हावी लॉबी से खुश नहीं है। लिहाजा सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर को सीढ़ी बनाकर डॉ. धनखड़ को निलंबित कर दिया, लेकिन सिवाय ‘जग हंसाई’ के दोनों मंत्रियों को कुछ हासिल नहीं हुआ। मेडीकेयर न्यूज ने सहकारिता मंत्री के मोबाइल पर कई बार संपर्क किया, लेकिन पीए से संदेश मिलने के बावजूद वह जवाब देने से बचते हुए लाइन पर नहीं आए। स्वास्थ्य मंत्री विज का मोबाइल कई प्रयासों के बावजूद कवरेज क्षेत्र में नहीं आया। चंडीगढ़ अफसर लॉबी और मंत्रालयों में दिनभर दोनों मंत्रियों के कारनामे के चर्चे गर्म रहे।
बता दें कि वर्ष 2014 में डॉक्टर गोरियान पर पीएनडीटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज हुई थी। तब से मामला कोर्ट में चल रहा है। रोहतक के डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. कुलदीप सिंह के मुताबिक, डॉ. गोरियान का रोहतक में भी अल्ट्रासाउंड केंद्र है। जिसे झज्जर कार्रवाई के बाद बंद कर दिया था। जांच में सामने आया कि अल्ट्रासाउंड केंद्र चलाने वाले यह डॉक्टर एनेस्थिसिया (बेहोशी) के विशेषज्ञ हैं। टीम ने झज्जर सेंटर से संदिग्ध दवाइयां और रिकार्ड बरामद किया था। डॉ. कुलदीप की मानें तो आरोपी डॉक्टर सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक झज्जर में सेंटर पर चेकअप करता था, वहीं झज्जर चुंगी स्थित आदर्श क्लीनिक और अल्ट्रासाउंड सेंटर पर सुबह सात बजे से नौ बजे और शाम को पांच बजे से सात बजे तक चेकअप करता था। अहम बात यह है कि डॉक्टर रोहतक के मरीजों का चेकअप झज्जर में करता था और झज्जर के मरीजों का चेकअप रोहतक में करता था।