नई दिल्ली: ये क्या, उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि बिगाड़ रहा है। एक व्यक्ति को उसकी पत्नी का शव ले जाने के लिए एंबुलेंस केवल इसलिए नहीं दी गई कि उसके पास महज 800 रुपये नहीं थे। शर्मनाक घटना है। कड़ा एक्शन होना चाहिए।
बात उत्तरप्रदेश के कौशांबी जिले की है जहां जिला अस्पताल प्रशासन ने पैसे के बिना पत्नी का शव ले जाने के लिए पति को एंबुलेंस नहीं दी। मजबूरन पति को पत्नी का शव स्ट्रेचर पर रखकर घर ले जाना पड़ा। परिवार वालों ने अस्पताल प्रशासन पर एंबुलेंस नहीं देने का अरोप लगाया है। प्रसव पीड़ा के दौरान महिला की जिला अस्पताल में मौत हो गई थी।
एक न्यूज चैनल ने सरकारी सिस्टम पर तमाचा जड़ता यह वीडियो भी दिखाया है। महिला के पति महेश चंद्र का आरोप है कि एंबुलेंस के लिए उससे 800 रुपये की मांग की गई थी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक सेठ आरोपों का खंडन कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि शव ले जाने के लिए निशुल्क एंबुलेंस दी गई है। मीडिया में चल रही ऐसी खबरें निराधार हैं। केवल वार्ड से पार्किंग तक स्ट्रेचर का इस्तेमाल किया गया है।
बात उत्तरप्रदेश के कौशांबी जिले की है जहां जिला अस्पताल प्रशासन ने पैसे के बिना पत्नी का शव ले जाने के लिए पति को एंबुलेंस नहीं दी। मजबूरन पति को पत्नी का शव स्ट्रेचर पर रखकर घर ले जाना पड़ा। परिवार वालों ने अस्पताल प्रशासन पर एंबुलेंस नहीं देने का अरोप लगाया है। प्रसव पीड़ा के दौरान महिला की जिला अस्पताल में मौत हो गई थी।
एक न्यूज चैनल ने सरकारी सिस्टम पर तमाचा जड़ता यह वीडियो भी दिखाया है। महिला के पति महेश चंद्र का आरोप है कि एंबुलेंस के लिए उससे 800 रुपये की मांग की गई थी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक सेठ आरोपों का खंडन कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि शव ले जाने के लिए निशुल्क एंबुलेंस दी गई है। मीडिया में चल रही ऐसी खबरें निराधार हैं। केवल वार्ड से पार्किंग तक स्ट्रेचर का इस्तेमाल किया गया है।