कैथल। दवाओं की खरीद में गड़बड़झाला सामने आया है। पिछले साल सितंबर माह में आयोजित हुए फल्गू मेले में आयुर्वेद दवाओं की खरीद में गड़बड़झाला सामने आया है। पिछले साल सितंबर माह में आयोजित हुए फल्गू मेले में आयुर्वेद विभाग के अधिकारियों ने 41 रुपये एमआरपी लिखी हुई दवा को 545 रुपये में खरीदा। कई दवाओं पर कोई डिस्काउंट व एक्सपायरी डेट भी नहीं लिखी हुई। साथ ही बिल में दर्शाए गए 5 प्रतिशत जीएसटी या फिर कई दवाओं का बैच नंबर भी नहीं है। आरटीआई कार्यकर्ता जयपाल ने आरटीआई के तहत फल्गू मेले में दी गई लोगों को आयुर्वेद की दवाओं के संबंध में जानकारी मांगी थी। इसमें पता चला कि मेले में 15 दिनों में करीब 1.33 लाख रुपये की आयुर्वेदिक दवाएं खरीदी गईं। इसमें लोगों को बुखार, खांसी सहित सामान्य बीमारियों के लिए होम्योपैथिक की दवाएं देने की जानकारी दी गई।
जयपाल ने बताया कि आरटीआई में खुलासा हुआ है कि एक दवा जिसका एमआरपी 41 रुपये है, उसकी कीमत बिल में 545 रुपये दर्शाई गई है। इसी तरह से कई दवाओं के बैच नंबर, एक्सपायरी डेट भी नहीं है। अधिकतर दवाओं पर कोई डिस्काउंट नहीं लिया गया। जबकि सरकारी नियम के अनुसार सरकारी खरीद में डिस्काउंट दिया जाता है। इतना ही नहीं, बिल के अंदर भी डिस्काउंट 40 प्रतिशत व जीएसटी 5 प्रतिशत दर्शाया गया है। लेकिन दवा की कीमत यदि 545 रुपये है तो उसके लिए एमआरपी, अदा की जाने वाली कीमत भी पूरी 545 रुपये है। डिस्काउंट या जीएसटी का भुगतान के समय कोई ध्यान नहीं रखा गया। इसके अलावा इन दवाओं की खरीद भी अंबाला से दिखाई गई है। जबकि कैथल में तीन फर्में रजिस्टर्ड हैं। आरटीआई कार्यकर्ता जयपाल का कहना है कि उन्हें पूरी आशंका है कि येे दवाएं खरीदी ही नहीं गईं। क्योंकि सभी बिल 49 हजार रुपये से कम हैं। यदि ये 50 हजार रुपये से अधिक की खरीद होती तो ई-वे बिल बनवाने पड़ते। यदि ये दवाएं एक ही जगह से खरीदी गई हैं तो ई-वे बिल से बचने के लिए तीन बार में खरीदी हुई दिखाई गई हैं। एक सिरप, जिसकी कीमत आज भी 111 रुपये है, उसे वर्ष 2018 में 136 रुपये के हिसाब से खरीदा गया है। यदि जांच हो तो विभाग में कई तरह की गड़बड़ी सामने आ सकती है। जयपाल ने इस संबंध में सीएम विंडो में शिकायत देकर जांच की मांग की। लेकिन हास्यास्पद बात यह है कि जिस अधिकारी द्वारा ये बिल खरीदे गए, उसी अधिकारी को इस शिकायत के लिए जांच अधिकारी बना दिया गया है। जयपाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के आदेश हैं कि जिस अधिकारी के खिलाफ कोई शिकायत है, वह अधिकारी उस शिकायत की जांच नहीं करेगा। लेकिन यहां इन निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस मामले को वापस लेने के लिए भी उस पर दबाव बनाया जा रहा है।