नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल के रोगियों को स्टेंट के महंगे जाल से मुक्ति देने के लिए स्टेंट कीमतों पर नियंत्रण का ऐतिहासिक फैसला लिया था, लेकिन खबर आई है कि उनसे दोस्ती का हाथ मिलाने वाले चीन के कुछ स्टेंट कारोबारी भारत की इस राह में मुश्किल पैदा करने की फिराक में है। इस बाबत सरकार को शिकायत पहुंची है, जिसकी गंभीरता से जांच की जा रही है। दवा जगत में सवाल उठ रहा है कि क्या चीनी कंपनी स्टेंट की कीमतों के तय नियमों के झोल का फायदा उठाकर सरकार की नीति को कमजोर करना चाहती है। सरकार और फार्मा उद्योग से जुड़े सूत्र पुष्टि करते हैं कि चीन की स्टेंट बनाने वाली माइक्रोपोर्ट कंपनी ने स्टेंट कीमतों पर नियंत्रण करने के बाद भारत में निर्माता या आयातक बनकर भारतीय वितरक के तौर पर पंजीकृत कराया है। स्टेंट आपूर्ति के दौरान कंपनी ने मार्जिन में बढ़ोतरी करते हुए मल्टीनेशनल या भारतीय कंपनियों को साधने के बजाय डाक्टरों को घूस देना अनुकूल समझ समझ रहे हैं। कानून के मुताबिक, निर्माता या आयातक को गलत तरह से कारोबारी बनकर कोई फायदा उठाने की इजाजत नहीं है।