लखनऊ। निजी अस्पतालों में बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर फिर खुल गए हैं। एफएसडीए की ड्रग टीम ने दुबग्गा, बंथरा और तेलीबाग में 9 निजी अस्पतालों में बिना लाइसेंस वाले मेडिकल स्टोरों की दवाएं सीज की थीं। इनमें से कई स्टोरों पर बिना लाइसेंस फिर से दवाओं की बिक्री होने लगी है। लेकिन संबंधित अफसरों को इसकी भनक तक नहीं है।
एफएसडीए की ड्रग टीमों ने 29-30 अगस्त को तेलीबाग, बंथरा, दुबग्गा और कानपुर रोड पर कुल 15 अस्पतालों में जांच की थी। इस दौरान 9 अस्पतालों में बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर चलते मिले थे। इसके बाद सिर्फ तेलीबाग स्थित स्पर्श चिल्ड्रन हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर का लाइसेंस बना है, जबकि बाकी जगह पहले की तरह दवा बेचने की कोई अनुमति नहीं है।
नियमों के मुताबिक, बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर चलाने पर एफआईआर होनी चाहिए। इसके बावजूद कार्रवाई तो दूर, ड्रग टीम ने संचालकों को नोटिस तक नहीं भेजा है। यही नहीं, इनके खिलाफ अभी तक मैजिस्ट्रेट को भी कोई रिपोर्ट नहीं भेजी गई है। दुबग्गा रोड पर 50 से अधिक अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर हैं। इनमें गिने-चुनों के पास ही फार्मेसी का लाइसेंस है। इसके बावजूद ड्रग टीम ने यहां महज तीन अस्पतालों में जांच की थी। वहीं, न्यू ग्लोबल हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर, दुबग्गा, ग्रेस हॉस्पिटल ऐंड ट्रॉमा सेंटर, दुबग्गा, रिवांता हॉस्पिटल ऐंड ट्रॉमा सेंटर, दुबग्गा और लखनऊ सर्जिकल अस्पताल, बंथरा में बिना लाइसेंस फिर से दवाएं बिक रहीं हैं।
राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव के मुताबिक दवाओं के रख-रखाव की जानकारी सिर्फ फार्मासिस्ट को होती है। कौन सी दवा किस तापमान पर रखनी है, यह फार्मासिस्ट ही समझ सकता है। गलत तरह से रखी गई दवा एक्सपायरी डेट के पहले ही खराब हो जाती है। यह दवा खाना नुकसानदायक हो सकता है। फार्मासिस्ट प्रिस्क्रिप्शन चेक करता है। कई दवाएं एक साथ नहीं खाई जा सकती, यह सब फार्मासिस्ट समझाता है। बिना लाइसेंस चल रहे मेडिकल स्टोरों पर फार्मासिस्ट ही नहीं होता है।