मुंबई। ठंड का मौसम शुरू होते ही पूरे देश में दुग्ध सप्लाई बढ़ जाती है। ऐसे में डेयरी कंपनियों को दुग्ध खरीद और स्किम्ड दुग्ध पाउडर (एसएमपी) की कीमतें मौजूदा स्तर के आसपास स्थिर रहने की उम्मीद है। डेरियों के लिए दुग्ध खरीद कीमतें महाराष्ट्र में बाढ़ से पहले के 28 रुपये प्रति लीटर से 10 प्रतिशत तक बढक़र 31 रुपये पर पहुंच गई हैं। अगस्त के पहले पखवाड़े में पश्चिमी महाराष्ट्र में बाढ़ से गंभीर संकट पैदा हो गया और इसमें हजारों दुधारू मवेशी बह गए। इसी तरह अन्य दुग्ध उत्पादक क्षेत्रों में बाढ़ से उत्पादन प्रभावित हुआ है जिससे देश में कुल दुग्ध उत्पादन घटा है।
हालांकि मौजूदा त्योहारी सीजन के दौरान दुग्ध मांग तेजी से बढ़ी है जिससे डेयरी कंपनियों ने किसानों के फायदे के लिए दुग्ध खरीद कीमतें बढ़ाने में दिलचस्पी दिखाई है। डायनेमिक्स ब्रांड के डेरी उत्पादों की उत्पादक श्रीबर डायनेमिक्स डेरीज के प्रबंध निदेशक अमिताभ रे ने कहा कि मौजूदा समय में दुग्ध खरीद कीमत 31 रुपये प्रति लीटर पर है जिससे आपूर्ति की तुलना में ज्यादा मांग की वजह से पिछले तीन महीनों में कीमतों में अच्छी तेजी का पता चलता है। हालांकि अभी दुग्ध खरीद कीमत मौजूदा स्तर से बहुत ज्यादा नहीं बढ़ पाने के कयास भी लगाए जा रहे हैं।
दिलचस्प तथ्य यह है कि डेयरी कंपनियों ने दूध की कीमतें मई में 2 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ाई थीं, लेकिन भविष्य में ऐसी कोई योजना नहीं थी। इसके अलावा एसएमपी की कीमतें पिछले तीन महीनों में 15 प्रतिशत से बढक़र 170-300 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच पहुंच गई हैं। अमूल ब्रांड के डेयरी उत्पाद बेचने वाली गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी ने कहा कि औसत मानसून बारिश इस साल पूरे भारत में दर्ज की गई। इसके अलावा, किसानों को अब अच्छी कीमत भी मिल रही है जिससे चारे की बढ़ती लागत पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। चारे की कीमतें पिछले एक साल में 40 प्रतिशत तक बढ़ी हैं। अब किसान नए पशु खरीदने और ज्यादा दुग्ध तैयार करने के लिए प्रोत्साहित होंगे जिससे निश्चित रूप से तरलीकृत दूध की आपूर्ति इस सीजन में बढ़ेगी। इस वजह से हमें एसएमपी की कीमतें मौजूदा 270-300 रुपये प्रति किलो की रेंज से ज्यादा बढऩे का अनुमान नहीं है। गर्मी का मौसम समाप्त होने के साथ ही दुग्ध उत्पादन बढऩे लगा है। नवंबर से लेकर मार्च तक की पांच महीने की अवधि को दूध की ज्यादा आपूर्ति वाला समय समझा जाता है। इसी तरह, अप्रैल से लेकर अक्टूबर के अंत तक की सात महीने की अवधि को कम दुग्ध आपूर्ति वाला सीजन माना जाता है। इस सीजन के दौरान डेयरी कंपनियां सामान्य तौर पर अतिरिक्त दूध को एसएमपी में परिवर्तित करती हैं जिससे कि कमजोर आपूर्ति वाली अवधि में उपभोक्ताओं को तरलीकृत और पाउडर वाले दूध, दोनों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
दुग्ध कीमत रुझान में बदलाव से महाराष्ट्र सरकार ने दुग्ध कीमतों में गिरावट को नियंत्रित करने के लिए अगस्त 2018 से जनवरी 2019 के बीच मूल्यवर्धित उत्पादों के उत्पादन के लिए दुग्ध प्रोसेसिंग के लिए 5 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी की घोषणा की थी। तब दूध की कीमतें 19-20 रुपये प्रति लीटर पर थीं। हालांकि पिछले एक साल के दौरान तरलीकृत दूध और एसएमपी की कीमतें 25 प्रतिशत और 26 प्रतिशत बढ़ी हैं। इलारा सिक्योरिटीज (इंडिया) में विश्लेषक सागरिका मुखर्जी का कहना है कि पिछली तिमाही में सभी डेरी कंपनियों ने घी और तरलीकृत दूध की कीमतें 3-6 प्रतिशत और 5 प्रतिशत बढ़ाई थीं। पनीर की कीमतें भी पिछले एक साल में 8-21 प्रतिशत तक बढ़ी हैं। कुल मिलाकर डेयरी उद्योग सालाना आधार पर 16 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज करेगा, लेकिन एबिटा में सालाना आधार पर 7 प्रतिशत की कमी आएगी क्योंकि दूध कीमतों में वृद्घि पर पूरी तरह से अमल नहीं किया गया।